Thursday 29 June 2017

यादों में तुम

यादों में तुम बहुत अच्छे लगते हो
याद तेरी जैसे गुलाब महकते है
अलसायी जैसे सुबह होती है
नरम श्वेत हल्के बादलों के
बाहों में झूलते हुये,
रात उतरती है धीमे से
साँझ के तांबई मुखड़े को
पहाड़ो के ओट में छुपाकर
और फैल जाती है घाटियों तक
गुमसुम यादें कहीं गहरे
तुम्हें मेरे भीतर
हृदय में भर देती है
दूर तक फैली हुयी तन्हाई
तेरी यादों की रोशनी से मूँदे
पलकों को ख्वाब की नज़र देती है
तुम ओझल हो मेरी आँखों से
पर यादों में चाँदनी
मखमली सुकून के पल देती है
भटकते तेरे संग तेरी यादों मे
वनों,सरिताओं के एकान्त में
स्वप्निल आकाश की असीम शांति में
हंसते मुस्कुराते तुम्हें जीते है,
फिर करवट लेते है लम्हें
मंज़र बदलते है पलक झपकते
मुस्कुराते धड़कनों से
एक लहर कसक की उठकर
आँखों के कोरो को
स्याह मेघों से भर देती है
कुछ बूँदें टूटी हसरतों की
अधूरी कहानियों को भिंगों देती है
जाने ये कैसी बारिश है
जिसमें भींगकर यादें संदली हो जाती है।
   
         #श्वेता🍁

11 comments:

  1. सुनहरी यादों की दुनियाँ बेहद खूबसूरत होती है ! आखरी चार पंक्तियों में रचना अपने क्लाइमैक्स पर पहुँच गयी है ! भावनाओं के बादल से अश्क़ों की बरसात ! नकारात्मक संवेदनाएँ भी सकारात्मक संवेदनाओं में डूब कर उर्जावान हो जातीं हैं ! अब महक को संदली होने से भला कौन रोक सकता है ! बहुत ही खूबसूरत रचना की प्रस्तुति हुई है । बहुत खूब आदरणीया ।

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    1. वाह्ह्ह....आपने कितनी खूबसूरती से रचना की विवेचना की एक दम यही सोचकर लिखी थी मैंने।
      बहुत आभारी है सर आपके कृपया आशीष बनाये रखे।धन्यवाद सर।

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  2. बेबतरीन पंक्तियाँ..
    तेरी यादों की रोशनी से मूँदे
    पलकों को ख्वाब की नज़र देती है
    तुम ओझल हो मेरी आँखों से
    पर यादों में चाँदनी
    मखमली सुकून के पल देती है
    भटकते तेरे संग तेरी यादों मे
    वनों,सरिताओं के एकान्त में
    स्वप्निल आकाश की असीम शांति में
    हंसते मुस्कुराते तुम्हें जीते है,
    सादर

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    1. बहुत बहुत आभार दी आपका आगमन ऊर्जा प्रदान करता है।

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  3. तू याद रख,
    या ना रख...
    तू याद है,
    ये याद रख....!!

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    1. क्या खूब ,चार लघु पंक्तियों में सार कह दिया आपने दी। बहुत आभार आपका दी हृदय से।

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  4. मखमली एहसास लिए उज्जवल भावों की अभिव्यक्ति।
    ऐसी रचनाऐं हमारी अनुभूति को स्पर्श कर संवेदना को निखारने में ताल -सुर का सृजन करतीं हैं।
    शुभकामनाऐं !
    ईश्वर आपकी लेखनी को अपना आशीर्वाद दे।

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    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका रवींद्र जी,
      आपके ऐसी सुंदर शुभकामनाओं के लिए किस प्रकार शुक्रिया धन्यवाद कहें,शब्द नहीं है।
      आप अपनी शुभकामनाओं का साथ सदैव देते रहे
      यही प्रार्थना है।

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  5. गुमसुम यादें कहीं गहरे
    तुम्हें मेरे भीतर
    हृदय में भर देती है
    दूर तक फैली हुयी तन्हाई
    ......खूबसूरत पंक्तियाँ

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    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका संजय जी।

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  6. स्वप्निल आकाश की असीम शांति में
    हंसते मुस्कुराते तुम्हें जीते है,
    वाह!!!!
    लाजवाब प्रस्तुति....

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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