Sunday 27 August 2017

भक्ति इंसान की

ये कैसी भक्ति करते हो इंसान की
लगे औलाद हो खूंखार शैतान की
धार्मिक उन्माद में भूले  इंसानियत
सर चढ़ी बोल रही तेरी हैवानियत
अपने हाथों सृजित आशियां को
क्यों अपने ही हाथों जला रहे हो
इक ज़रा तो सोचो ओ अंधे भक्तों
फैला अशांति क्या सुकूं पा रहे हो
इंसान को दे दिया रब का दर्जा
आस्था नहीं ये अंधविश्वास है
ऐसा भी क्या हुये मोह में अंधा
धर्म अधर्म  नही तुमको ज्ञात है
ज्वालामुखी बने आग उगलकर
ये कैसा दावानल लहका रहे हो
बेहाल जनता के मन का दर्पण बन
कुछ सार्थक करने की सोच लेते
यही देशभक्ति तेरी तेरा समर्पण
देश की शजर शाख तुम नोच लेते
ऐसी आँधियाँ उत्पात की बहाकर 
नष्ट कर उजाड़कर क्या पा रहे हो
कोई राम रहीम देश से बड़ा नहीं है
इतना सदा तुम तो याद रख लेना
पापकर कोई बच नहीं सकता है
हो सके तो गीता का जाप कर लेना
साथ दे, दुराचारी का भागीदार बन
ये कैसा राजधर्म तुम निभा रहे हो
     #श्वेता🍁

Saturday 26 August 2017

मौन हो तुम

मौन हो तुम गुनगुनाते
वीणा मधुर आलाप हो
मंद मंद सुलगा रहा मन
अतृप्त प्रेम का ताप हो
नैन दर्पण आ बसे तुम
स्वर्ण स्वप्नों के चितेरे
प्रीत भरे हृदय घट के
सकल नेह के हो लुटेरे
पाकर जिसे न छू सकूँ
अबोला कोई शाप हो
तेरे नयन आलोक से
सजता मेरा रंग रूप है
साथ चल दो कुछ कदम
लगे चाँदनी सी धूप है
साँसों में जपकर न थकूँ
प्रभु मंत्र सा तुम जाप हो
रंग लिया हिय रंग में तेरे
कुछ नहीं अब बस में मेरे
बाँधे पाश मनमोह है घेरे
बंद पलक छवि तेरे डेरे
अश्रुजल से न मिट सके
वो अमिट अनंत संताप हो
मौन हो तुम गुनगुनाते
वीणा मधुर आलाप हो
     #श्वेता🍁

  


चित्र साभार गूगल

Wednesday 23 August 2017

तीज

जय माता पार्वती जय हो बाबा शंकर
रख दीजे हाथ माथे कृपा करे हमपर
अटल सुहाग माँगे कर तीज व्रत हम
बना रहे जुग जुग साथ और सत सब
माँग का सिंदूर मेरा दम दम दमके
लाल हरी चुड़ियाँ खन खन खनके
प्रीत की सुगंध मेंहदी मह मह महके
बिछुआ पायल बजे छम छम छमके
सोलह सिंगार रूप लह लह लहके
बँधे खुशी आँचल में बरसे जमकर
जय माता पार्वती.........
पिया जी अँगना में स्वप्न दीप जलाई
सतरंगी सितारों से है रंगोली सजाई
सकल दुख संताप प्रभु चरण चढ़ाई
फूल मुसकाये गोदी में अरज लगाई
बना विश्वास रहे रामा यही है दुहाई
रहे पिया साथ मेरे मन से रमकर
जय माता पार्वती..........
जीवन की राहों में गाँठ एक जोड़ा
दुनिया जहान में ढूँढ लाए वर मोरा
नेह के नभ पिया मैं चाँद औ चकोरा
हाथ थाम चलूँ हिय प्रीत के हिलोरा
डोली में आई अब काँधे जाऊँ तोरा
प्रेम न पिया जी से भूल के  कमकर
जय माता पार्वती........
     #श्वेता🍁

Monday 21 August 2017

मैं रहूँ न रहूँ

फूलेंगे हरसिंगार
प्रकृति करेगी नित नये श्रृंगार
सूरज जोगी बनेगा
ओढ़ बादल डोलेगा द्वार द्वार
झाँकेगी भोर आसमाँ की खिड़की से
किरणें धरा को प्यार से चूमेगी
मैं रहूँ न रहूँ
मौसम की करवटों में
सिहरेगी मादक गुनगुनी धूप
पीपल की फुनगी पर
नवपात लजायेगी धर रक्तिम रूप
पपीहा, कोयल लगायेगे आवाज़
भँवर तितली रंगेगे मन के साज
फूट के नव कली महकेगी
मैं रहूँ न रहूँ
चार दिन बस चार दिन ही
मेरी कमी रूलायेगी
सजल नयनों में रिमझिम
अश्रुओं की बरखा आयेगी
थक कर किसी जीवन साँझ में
छोड़ चादर तन की चली जाऊँगी
मन की पाखी बनके उड़ उड़
यादों को सहलाऊँगी
अधर स्मित मुसकायेगे
मैं रहूँ न रहूँ
    #श्वेता🍁

मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...