Sunday 17 September 2017

साथ तुम्हारे हूँ


निर्मल,कोमल, उर प्रीत भरी

हूँ वीतरागी,शशि शीत भरी,
मैं पल पल साथ तुम्हारे  हूँ।

रविपूंजों की जलती ज्वाला
ले लूँ आँचल में,छाँव करूँ,
कंटक राहों के चुन लूँ सारे
जीवन के भँवर में नाव बनूँ,

हर बूँद नयी आशा से भरी
मैं पल पल साथ तुम्हारे हूँ।

जीवन पथ के झंझावात में
थाम हाथ, तेरे साथ चलूँ
जब सूझे न कोई राह तुम्हें
जलूँ बाती, तम प्रकाश भरूँ,

घन निर्मल पावन प्रेम भरी
मैं पल पल साथ तुम्हारे हूँ।

क्या ढूँढ़ते हो तुम इधर उधर
न मिल पाऊँ जग बंधन में,
नयनों से ओझल रहती हूँ
तुम पा लो हिय के स्पंदन में,

जीवनदायी हर श्वास भरी
मैं पल पल साथ तुम्हारे हूँ।

       श्वेता🍁

Friday 15 September 2017

तुम ही तुम


तुम ही तुम छाये हो ख़्वाबों ख़्यालों में
दिल के शजर के पत्तों में और डालों में

लबों पे खिली मुस्कान तेरी जानलेवा है
चाहती हूँ दिल टाँक दूँ मैं तुम्हारे गालों में

लकीरों के फ़सानें मुहब्बत की कहानी
न जाने क्यूँ उलझी हूँ बेकार सवालों में

है गुम न जाने इस दिल को हुआ क्या है
सुकूं मिलता नहीं अब मंदिर शिवालों में

तेरे एहसास में कशिश ही कुछ ऐसी है 
भरम टूट नहीं पाता हक़ीक़त के छालों में


      #श्वेता🍁

Wednesday 13 September 2017

हिंदी

बचपन से जाना है हिंदी
भारत के भाल पर बिंदी
राष्ट्र की खास पहचान
हिंदी भाषी अपना नाम
गोरो ने जो छोड़ी धरोहर
उसके आगे हुई है चिंदी
हिंदी भाषा नहीं भाव है
संस्कृति हमारी चाव है
सबको एक सूत्र में जोड़े
कश्मीरी हो या हो सिंधी
न रोटी में न मान है मिलता
शर्म से शीश नवाये छिपता
सभ्य असभ्य के बीच दीवार
खींच दे रेखा अपनी हिंदी
बूढ़ी हो गयी है राष्ट्रभाषा
पूछ रहे अंतिम अभिलाषा
पुण्य तिथि पर करेंगें याद
थी सबसे प्यारी अपनी हिंदी
न जाने अंग्रेज़ी तो अपमान है
देश में हिंदी की कैसी  शान है
न लौटेंगे दिन वो सुनहरे फिर
जब कभी गर्व से कह पाये हम
हिंदी भारत के माथे की बिंदी

       #श्वेता🍁

Monday 11 September 2017

चाँद

*चित्र साभार गूगल*
मुक्तक

चाँद आसमान से बातें करता ऊँघने लगा
अलसाकर बादलों के पीछे आँखें मूँदने लगा
नीरवता रात की मुस्कुरायी सितारों को चूमकर
ख्वाबों मे हुई आहट फिजां में संगीत गूँजने लगा
*********************************   
चाँदनी रातों को अक्सर छत पे चले जाते है
वो भी देखते होगे चंदा सोच सोच मुस्कुराते है
पलकों के पिटारे मे बंद कर ख्वाब नशीले
रेशमी यादों के आगोश में गुम हम सो जाते है
*********************************  
झर झर झरती चाँदनी मुझसे है बतियाए
वो बैठा तेरे छाँव तले चँदनियाँ उसको भाए
गुन गुन करते पवन झकोरे तन मेरा छू जाए
उसकी याद की मीठी सिहरन मन मेरा बौराए
**********************************
चाँदनी के धागों से स्याह आसमान पे पैगाम लिखा है
दिल की आँखों से पढ़ लो संदेशा एक खास लिखा है
पी लो धवल चाँद का रस ख्यालों के वरक लपेटकर
सुनहरे ख्वाब मे मुस्कुराने को अपने एहसास लिखा है

          #श्वेता🍁




मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...