Pages

Wednesday, 12 December 2018

एहसास जब.....

एहसास जब दिल में दर्द बो जाते हैं
तड़पता देख के पत्थर भी रो जाते हैं

ऐसा अक्सर होता है तन्हाई के मौसम में
पलकों से गिर के ख़्वाब कहीं खो जाते हैं

तुम होते हो तो हर मंज़र हसीं होता है
जाते ही तुम्हारे रंग सारे फीके हो जाते हैं

उनींदी आँखों के ख़्वाब जागते हैंं रातभर
फ़लक पे चाँद-तारे जब थक के सो जाते हैं

जाने किसका ख़्याल आबाद है ज़हन में
क्यूँ हम ख़ुद से भी अजनबी हो जाते हैं

बीत चुका है मौसम इश्क़ का फिर भी
याद के बादल क़ब्र पे आकर रो जाते हैं

वक़्त का आईना मेरे सवाल पर चुप है
दिल क्यों नहीं चेहरों-से बेपर्दा हो जाते हैं

-श्वेता सिन्हा