Pages

Thursday, 11 February 2021

मैं प्रकृति के प्यार में हूँ...।



मैं प्रकृति के प्यार में हूँ...।

किसी उजली छाँह की तलाश नहीं है
किसी मीठे झील की अब प्यास नहीं है,
नभ धरा के हाशिये के आस-पास
धडक रही है धीमे-धीमे -साँस,
उस मीत के सत्कार में हूँ।
मैं प्रकृति के प्यार में हूँ...।


सृष्टि की निभृत पीड़ाओं से मुक्त हो
दिशाओं के स्वर पाश से उन्मुक्त हो,
नक्षत्रों के बियाबान के कहीं उस पार 
सूर्य-चंदा रत्नजड़ित अलौकिक शृंगार ,
भावनाओं के विमुग्ध संसार में हूँ
मैं प्रकृति के प्यार में हूँ...।


अनघ सानिध्य में अनुभूतियों के
तृप्त कामनाओं के दिव्य वीथियों के,
जीवन-मरण के प्रश्न सारे भूलकर
अमर्त्य आत्मा के बाहुपाश में झूलकर,
वीतरागी 'पी' के अधिकार में हूँ।
मैं प्रकृति के प्यार में हूँ....।


#श्वेता सिन्हा
११फरवरी२०२१