तितलियों के टापू पर
मेहमान बन कर जाना चाहती हूँ
चाहती हूँ पूछना उनसे-
बेफ्रिक्र झूमती पत्तियों को
चिकोटी काटकर,
खिले-अधखुले फूलों के
चटकीले रंग चाटकर
बताओ न गीत कौन-सा
गुनगुनाती हो तितलियाँ?
चाँद के आने से पहले
सूरज के ठहरने तक
चिड़ियों की पुकार पर
ऋतुओं के बदलने तक
बागों में क्या-क्या गुज़रा
क्यों नहीं बताती हो तितलियाँ?
मेहमान बन कर जाना चाहती हूँ
चाहती हूँ पूछना उनसे-
बेफ्रिक्र झूमती पत्तियों को
चिकोटी काटकर,
खिले-अधखुले फूलों के
चटकीले रंग चाटकर
बताओ न गीत कौन-सा
गुनगुनाती हो तितलियाँ?
चाँद के आने से पहले
सूरज के ठहरने तक
चिड़ियों की पुकार पर
ऋतुओं के बदलने तक
बागों में क्या-क्या गुज़रा
क्यों नहीं बताती हो तितलियाँ?
प्रेम में डूबी,खुशबू में खोयी
कल्पनाओं के फेरे लगाती
स्वप्नों के टूटने से फड़फड़ाकर
व्यथाओं से सरगम सजाती
क्या तुम भी भावनाओं से बेकल
प्रार्थना मुक्ति की दोहराती हो तितलियाँ?
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-श्वेता
२२ जनवरी २०२३
२२ जनवरी २०२३