Pages

Monday, 10 June 2024

कवि के सपने


कवि की आँखों की चौहद्दी

सुंदर उपमाओं और रूपकों से सजी रहती है

बेलमुंडे जंगलों के रुदन में

कोयल की कूक,

तन-मन झुलसाकर ख़ाक करती गर्मियों में

बादलों की अठखेलियाँ गिनते हैं

फूल-काँटों संग झूमते हैं

भँवरे-तितलियों संग ताल मिलाते हैं

गेहूँ-धान की बालियों से

हरे-भरे लहलहाते खेत

गाते किसान,

हँसते बच्चे,

खिलखिलाती स्त्रियाँ,

सभी की ख़ुशियों की 

दुआ माँगते संत और पीर

प्रार्थनाओं और मन्नतों के

धागों में पिरोये भाईचारे,


कवि की कूची

इंद्रधनुषी रंगों से

प्रकृति और प्रेम की

सकारात्मक ,सुंदर ,ऊर्जावान शब्दों की

सुगढ़ कलाकारी करती है

ख़ुरदरी कल्पनाओं में

रंग भरकर 

सभ्यताओं की दीवार पर

नक़्क़ाशी करती है...

जिन कवियों को

नहीं होती राजनीति की समझ

उनके सपनों में

रोज़ आती हैं जादुई परियाँ

जो जीवन की विद्रूपताओं को छूकर

सुख और आनन्द में

बदलने दिलासा देती रहती हैं...।

------

# श्वेता सिन्हा