tag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post1675337460741372359..comments2024-03-23T15:18:44.393+05:30Comments on मन के पाखी: चलन से बाहर...(कुछ मुक्तक)Sweta sinhahttp://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-49524029549531586722021-06-17T21:15:48.194+05:302021-06-17T21:15:48.194+05:30बहुत सुन्दर श्वेता! तुम्हारी भावनाओं की और कल्पनाओ...बहुत सुन्दर श्वेता! तुम्हारी भावनाओं की और कल्पनाओं की उड़ान, हमेशा ऊंची होती है. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-45587309003675683692021-06-15T21:57:08.197+05:302021-06-15T21:57:08.197+05:30वाह्ह्ह्ह्ह्ह!
आदरणीया दीदी जी वाह! कितने सच्चे है...वाह्ह्ह्ह्ह्ह!<br />आदरणीया दीदी जी वाह! कितने सच्चे हैं आपके यह सुंदर मुक्तक। यह सभी मुझे प्रिय हो गए। साझा करने से स्वयं को एक पल के लिए भी नही रोक सकती।Anchal Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/13153099337060859598noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-17454847703342971672021-04-13T23:49:37.437+05:302021-04-13T23:49:37.437+05:30वाह वाह, बहुत खूब, महफ़िल ऐसे जमी हुई है मानो कोई ...वाह वाह, बहुत खूब, महफ़िल ऐसे जमी हुई है मानो कोई काव्य गोष्टी चल रही हो, मजा आ गया, संगीता जी के आने से तो चार चाँद लग गये, छा गयी आप संगीता जी, लाजवाब मुक्तक श्वेता जी ढेरों बधाई हो आपकोज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-79362644564561488862021-04-09T15:00:41.864+05:302021-04-09T15:00:41.864+05:30बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय हैं सभी मुक्तक |बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय हैं सभी मुक्तक |आलोक सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/17318621512657549867noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-979984507475193552021-04-07T12:18:32.832+05:302021-04-07T12:18:32.832+05:30बहुत ही बढ़िया जैसे अहसास के अनेक स्तरों को किसी न...बहुत ही बढ़िया जैसे अहसास के अनेक स्तरों को किसी ने चीर दिया हो और भीतर तक उतार दिया हो अर्थों को । बहुत ही प्रभावी । हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई ।Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-88100304800767882772021-04-06T18:02:40.486+05:302021-04-06T18:02:40.486+05:30कभी चेहरा तो कभी आईना बदलता है
सहूलियत से बात का म...कभी चेहरा तो कभी आईना बदलता है<br />सहूलियत से बात का मायना बदलता है<br />अज़ब है ये खेल मतलबी सियासत का<br />ख़ुदसरी में ज़ज़्बात का दायरा बदलता है----बहुत ही गहरी पंक्तियां हैं...वाह PRAKRITI DARSHANhttps://www.blogger.com/profile/10412459838166453272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-21418194987524171002021-04-05T16:42:50.496+05:302021-04-05T16:42:50.496+05:30प्रिय श्वेता जी,बहुत ही सुंदर,सारगर्भित और बहुत कु...प्रिय श्वेता जी,बहुत ही सुंदर,सारगर्भित और बहुत कुछ समझा गए आपके लाजवाब मुक्तक, कहां कहां से ढूंढ लाईं इतनी सुंदर पंक्तियां,एक एक शब्द खुशी दे रहे,कई बार पढ़ना पड़ा,ऊपर से संगीता दीदी की हाज़िर जवाबी के क्या कहने,आनंद ही आनंद,बहुत ही नायाब सृजन ।<br />जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-57642744111318647962021-04-04T20:18:21.249+05:302021-04-04T20:18:21.249+05:30मन पर चढ़ा छद्म आवरण भरमाओगे
मुखौटों की तह में क्या...मन पर चढ़ा छद्म आवरण भरमाओगे<br />मुखौटों की तह में क्या-क्या छिपाओगे?<br />एक दिन टूटेगा दर्पण विश्वास भरा जब<br />किर्चियों से घायल ख़ुद ही हो जाओगे । <br />*********************<br /> हर इंसान का कहाँ कोई चेहरा होता है <br />उस के पास मुखौटों पर मुखौटा होता है <br />एक उतरता है तो सोचते हैं कि ये असली है <br />पर वो भी चेहरे पर चढ़ा एक और मुखौटा होता है ।। <br /><br />और लेना है आशीर्वाद ? 😆😆😆😆<br />संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-34681204207284367762021-04-04T20:09:02.974+05:302021-04-04T20:09:02.974+05:30ज़िंदगी नीम तो कभी है स्वाद में करेला
समय की चाल मे...ज़िंदगी नीम तो कभी है स्वाद में करेला<br />समय की चाल में हर घड़ी नया झमेला<br />दुनिया की भीड़ में अपनों का हाथ थामे<br />चला जा रहा बेआवाज़,आदमी अकेला <br />वाह!!!!<br />क्या कमाल के मुक्तक रचे हैं आपने श्वेता जी!<br />अगला पढ़कर फिर पिछला दुबारा पढ़ रही हूँ...बार बार पढकर भी मन नहीं भर रहा साथ ही आ. संगीता जी की लेखनी की कायल हूँ हर विधा में माहिर हैं...उनकी जुगलबंदी ने तो रचना पर चार चाँद लगा दियें हैं...।<br />बहुत ही लाजवाब संग्रहणीय सृजन।Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-38687428892217697082021-04-04T15:44:30.552+05:302021-04-04T15:44:30.552+05:30कल मायूस थी न छुटकी तुम
आज तो खुश हो न...
नीम भी ह...कल मायूस थी न छुटकी तुम<br />आज तो खुश हो न...<br />नीम भी है और करेला भी<br />इसी कड़ुवाहट का नाम ज़िंदगी है<br />समय तो समय ही है<br />चलता है कभी और ..<br />दौड़ भी जाता है कभी..<br />...<br />पकड़ में आए समय<br />तो तरीका विस्तार से<br />बतलाइएगा जरूर<br />सादर..<br /><br />Digvijay Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/10911284389886524103noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-2518863023743391292021-04-04T13:32:13.660+05:302021-04-04T13:32:13.660+05:30आदरणीया मैम,
बहुत सुंदर पंक्तियाँ। हर एक छ...आदरणीया मैम,<br /> बहुत सुंदर पंक्तियाँ। हर एक छंद यथार्थ -पूर्ण और सटीक। सदा की तरह मन को झकझोर कर सत्य हृदय तक पहुंचा देने वाली पंक्तियाँ। पढ़ कर आनंद आया। <br />आपकी इन मुक्तकों को पढ़ कर कुछ शायरी पढ़ने का सा आनंद और कुछ कबीर-दास जी के दोहे को पढ़ने की अनुभूति। हृदय से आभार इस सुंदर रचना के लिए व आपको प्रणाम। <br />Ananta Sinhahttps://www.blogger.com/profile/14940662000624872958noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-86152748462857361522021-04-04T13:30:04.327+05:302021-04-04T13:30:04.327+05:30आदरणीया मैम,
बहुत सुंदर पंक्तियाँ। हर एक छ...आदरणीया मैम,<br /> बहुत सुंदर पंक्तियाँ। हर एक छंद यथार्थ -पूर्ण और सटीक। सदा की तरह मन को झकझोर कर सत्य हृदय तक पहुंचा देने वाली पंक्तियाँ। पढ़ कर आनंद आया। <br />आपकी इन मुक्तकों को पढ़ कर कुछ शायरी पढ़ने का सा आनंद और कुछ कबीर-दास जी के दोहे को पढ़ने की अनुभूति। हृदय से आभार इस सुंदर रचना के लिए व आपको प्रणाम। <br />Ananta Sinhahttps://www.blogger.com/profile/14940662000624872958noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-29105749321758987612021-04-04T06:29:13.216+05:302021-04-04T06:29:13.216+05:30प्रिय दी,
आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाओं की प्रतीक...प्रिय दी,<br />आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहती है।<br />बहुत आभारी हूँ।<br />स्नेहिल शुक्रिया।<br />सादर।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-29981625543534712982021-04-04T06:25:34.521+05:302021-04-04T06:25:34.521+05:30अरे दी नाराज़गी किस बात की?
आपकी लिखी उलटबांसियाँ म...अरे दी नाराज़गी किस बात की?<br />आपकी लिखी उलटबांसियाँ मेरे लिखे पर आपका दुलार है और आपका असीम आशीष है। <br />आपके स्नेह की आकांक्षा है और आपके लिखे का अभिनंदन है हमेशा।<br />बहुत शानदार लिखा है आपने प्रतिउत्तर में।<br /><br />नस्नेह शुक्रिया दी।<br />सSweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-53154314951115094672021-04-04T06:15:49.991+05:302021-04-04T06:15:49.991+05:30प्रिय दी ये सारे मुक्तक अलग अलग समय पर लिखे गये है...प्रिय दी ये सारे मुक्तक अलग अलग समय पर लिखे गये हैं इसे एक साथ करके रख दिए हैं।<br />आपका स्नेहिल आशीष मिला <br />मन उत्साह से भर गया।<br />सस्नेह शुक्रिया दी।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-90014899230739707072021-04-04T06:10:59.780+05:302021-04-04T06:10:59.780+05:30आपका आशीष है दी।
सस्नेह शुक्रिया।
सादर।आपका आशीष है दी।<br />सस्नेह शुक्रिया।<br />सादर।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-73051696365246435532021-04-04T06:10:23.615+05:302021-04-04T06:10:23.615+05:30बहुत आभारी हूँ आदरणीय सर।
सादर।बहुत आभारी हूँ आदरणीय सर।<br />सादर।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-47391047177580890662021-04-04T06:10:03.506+05:302021-04-04T06:10:03.506+05:30मुक्तकों को इतना मान देने के लिए बहुत आभारी हूँ दी...मुक्तकों को इतना मान देने के लिए बहुत आभारी हूँ दी।<br />आपकी विलक्षणता है <br /> प्रतिउत्तर म़े लिखे आपके मुक्तकों ने रचना की शोभा बढ़ा दी है।<br />सस्नेह अभिनंदन दी।<br />सादर।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-89590140219894666532021-04-04T06:07:06.517+05:302021-04-04T06:07:06.517+05:30बहुत आभारी हूँ दी।
स्नेह है आपका।बहुत आभारी हूँ दी।<br />स्नेह है आपका।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-26011820433155775772021-04-03T23:42:21.229+05:302021-04-03T23:42:21.229+05:30बहुत खूब दीदी | इसे कहते हैं -- दो विद्वतजनों की ...बहुत खूब दीदी | इसे कहते हैं -- दो विद्वतजनों की कमाल जुगलबंदी | वाह !!!!-रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-14369694833976791572021-04-03T23:40:23.943+05:302021-04-03T23:40:23.943+05:30अबूझ पहली- पहेली अबूझ पहली- पहेली रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-11000449161468747642021-04-03T23:39:20.327+05:302021-04-03T23:39:20.327+05:30प्रिय श्वेता , सभी मुक्तक सार्थक और सारगर्भित है...प्रिय श्वेता , सभी मुक्तक सार्थक और सारगर्भित हैं , जो अपनी कहानी आप कहने में सक्षम हैं | कितना बड़ा मार्मिक सत्य लिखा तुमने --<br />शुक्र है ज़ुबां परिदों की अबूझ पहली है<br />वरना उनका भी आसमां बाँट आते हम<br />अगर उनकी दुनिया में दख़ल होता हमारा<br />जाति धर्म की ईंटों से सरहद पाट आते हम<br />ये कडवी हकीकत है------ यूँ तो मूक प्राणियों का आधा संसार इंसान हथिया चुका है पर फिर भी उनकी पूरी दुनिया हथियाने में सक्षम नहीं नहीं तो यही होता | सभी मुक्तक जीवन की विद्रूपताओं को सामने रखते हुए - सोचने को विवश करते हैं | हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं भावपूर्ण और संवेदनाओं के मर्म को छूते सृजन के लिए |रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-81160053316687562382021-04-03T23:38:33.405+05:302021-04-03T23:38:33.405+05:30प्रिय श्वेता , सभी मुल्तक सार्थक और सारगर्भित ,...प्रिय श्वेता , सभी मुल्तक सार्थक और सारगर्भित , जो अपनी कहानी आप कहने में सक्षम हैं | कितना बड़ा मार्मिक सत्य लिखा तुमने --<br />शुक्र है ज़ुबां परिदों की अबूझ पहली है<br />वरना उनका भी आसमां बाँट आते हम<br />अगर उनकी दुनिया में दख़ल होता हमारा <br />जाति धर्म की ईंटों से सरहद पाट आते हम<br /> ये कडवी हकीकत है------ यूँ तो मूक प्राणियों का आधा संसार इंसान हथिया चुका है पर फिर भी उनकी पूरी दुनिया हथियाने में सक्षम नहीं नहीं तो यही होता | सभी मुक्तक जीवन की विद्रूपताओं को सामने रखते हुए - सोचने को विवश करते हैं | हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं भावपूर्ण और संवेदनाओं के मर्म को छूते सृजन के लिए |रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-91058834119597682722021-04-03T22:54:43.024+05:302021-04-03T22:54:43.024+05:30वाह ! संगीता दी, आपने तो उलटबाँसियाँ रच दी हैं। श्...वाह ! संगीता दी, आपने तो उलटबाँसियाँ रच दी हैं। श्वेता की रचना है ही ऐसी कि सोचने को मजबूर करे।Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-8957115045071684852021-04-03T22:16:44.163+05:302021-04-03T22:16:44.163+05:30३)किसी के शोख़ निगाहों से तकदीर नहीं बदलती
नाम लिख ...३)किसी के शोख़ निगाहों से तकदीर नहीं बदलती<br />नाम लिख लेने से हाथों की लकीर नहीं बदलती<br />माना दुआओं में शामिल हो दिलोजान से हरपल,<br />दिली ज़ज़्बात से ज़िंदगी की तहरीर नहीं बदलती।<br /><br />@@@@@@@@@@@@@@@@@@<br /><br />सुना है दुआओं में बड़ा असर होता है <br />तकदीर पर निगाहों का कहर होता है <br />खाली जज़्बातों से नहीं चलती ज़िन्दगी माना <br />यूँ बहुत कुछ हाथ की लकीरों में बसर होता है ।<br />________________________________________<br /><br />४)कभी चेहरा तो कभी आईना बदलता है<br />सहूलियत से बात का मायना बदलता है<br />अज़ब है ये खेल मतलबी सियासत का<br />ख़ुदसरी में ज़ज़्बात का दायरा बदलता है<br /><br />****************<br />आज कल आईने से ज्यादा चेहरा बदलता है <br />सहूलियत से बात ही नहीं रिश्ता तक बदलता है <br />सही समझा है तुमने इस मतलबी दुनिया को <br />अपनी जिद में इंसान दूसरों के जज़्बात नहीं समझता है . <br /><br />जितनी बार पढ़ती हूँ कुछ सोच बन जाती है ... :) :) <br />अच्छा बस अब आगे नहीं ... नाराज़ न होना ...तुम्हारे मुक्तक की ऐसी कि तैसी कर दी है :) :) <br />संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com