tag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post459063247924581827..comments2024-03-23T15:18:44.393+05:30Comments on मन के पाखी: विरहिणी/वसंतSweta sinhahttp://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-57843051233907351022021-02-15T20:38:00.441+05:302021-02-15T20:38:00.441+05:30बहुत सुंदर वासंतिक रचना...🌹🙏🌹बहुत सुंदर वासंतिक रचना...🌹🙏🌹Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-34357993991850125882020-02-25T18:53:05.212+05:302020-02-25T18:53:05.212+05:30यूँ ही नहीं होता
नख-शिख श्रृंगार,
प्रेम की प्रतीक...यूँ ही नहीं होता <br />नख-शिख श्रृंगार,<br />प्रेम की प्रतीक्षा में <br />चिर विरहिणियों के<br />अधीर हो कपसने से,<br />अकुलाई,पवित्र प्रार्थनाओं से<br />अँखुआता है वसंत।<br />बेजोड़ पंक्तियाँ प्रिय श्वेता ! आपकी रचनाएँ, उनमें प्रयुक्त शब्द, बहुत ही असाधारण कलाकारी से गूँथे गए भाव निःशब्द कर जाते हैं।Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-75279712343665447902020-02-25T13:06:07.355+05:302020-02-25T13:06:07.355+05:30विरह की उष्मा
पिघलाती है बर्फ़
पलकों से बूँद-बूँद...विरह की उष्मा <br />पिघलाती है बर्फ़<br />पलकों से बूँद-बूँद<br />टपकती है वेदना <br />भिंगाती है धरती की कोख <br />सोये बीज सींचे जाते हैं,<br /><br />बेहद भावपूर्ण सृजन श्वेता जी ,सादर नमन Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-90142230877823342972020-02-24T19:05:31.157+05:302020-02-24T19:05:31.157+05:30सराहनीय सृजन स्वेता! बहुत सुंदर।सराहनीय सृजन स्वेता! बहुत सुंदर।SUJATA PRIYEhttps://www.blogger.com/profile/04317190675625593228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-20613836860074094772020-02-24T17:16:14.523+05:302020-02-24T17:16:14.523+05:30बहुत सुंदर अभिव्यक्ति श्वेता जीबहुत सुंदर अभिव्यक्ति श्वेता जीAnuradha chauhanhttps://www.blogger.com/profile/14209932935438089017noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-19517165213788324462020-02-24T16:55:52.675+05:302020-02-24T16:55:52.675+05:30प्रकृति के सहज कलापों में भी वेदना कैसे झलकती है य...प्रकृति के सहज कलापों में भी वेदना कैसे झलकती है ये आपकी शानदार लेखनी बहुत सुंदर ढंग से उकेरती है श्वेता ।<br />लाजवाब सृजन।मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-84979581827885460582020-02-24T10:43:46.659+05:302020-02-24T10:43:46.659+05:30प्रशंसनीयप्रशंसनीयAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-31990454667640410972020-02-23T22:45:25.672+05:302020-02-23T22:45:25.672+05:30प्रेम की प्रतीक्षा में
चिर विरहिणियों के
अधीर हो ...प्रेम की प्रतीक्षा में <br />चिर विरहिणियों के<br />अधीर हो कपसने से,<br />अकुलाई,पवित्र प्रार्थनाओं से<br />अँखुआता है वसंत।<br />बहुत भावपूर्ण प्रिय श्वेता। इन चिर विरहनियों की प्रार्थना रंग लाती है , पर काश सचमुच का बसंत इनके जीवन का बसंत भी लौटा दे। रेणुhttps://www.blogger.com/profile/06997620258324629635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-44368169123005292192020-02-23T17:52:48.893+05:302020-02-23T17:52:48.893+05:30वाह!!श्वेता ,बहुत ही खूबसूरत सृजन👌वाह!!श्वेता ,बहुत ही खूबसूरत सृजन👌शुभा https://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-31918334652340920292020-02-23T11:39:25.527+05:302020-02-23T11:39:25.527+05:30भँवरों की नटखट टोलियाँ,
मुंडेर पर गूँटर-गूँ करते
भ...भँवरों की नटखट टोलियाँ,<br />मुंडेर पर गूँटर-गूँ करते<br />भूरे-सफेद कबूतर<br />फुदकती बुलबुल<br />नन्हें केसरी बूटों<br />की फुलकारी से शोभित <br />नागफनी की कंटीली बाड़ से<br />उलझे दुपट्टे उंगली थामे<br />स्मृतियों का वसंत <br />जीवंत कर जाते हैं।<br /><br />सच में प्रकृति के देन है यह उल्हास से भरे यह रोचक पल,<br />जो हमें जिंदा होने और रहने के लिए प्रेरित करते है। <br />Gurminder Singhhttps://www.blogger.com/profile/13707851279688762620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-27527571536332456052020-02-23T10:53:43.898+05:302020-02-23T10:53:43.898+05:30'अँखुआता है वसंत।'नि:शब्द!'अँखुआता है वसंत।'नि:शब्द!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.com