tag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post5397730314051726447..comments2024-03-23T15:18:44.393+05:30Comments on मन के पाखी: जो मिल न सकाSweta sinhahttp://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-84531661778633906002021-12-11T14:02:39.316+05:302021-12-11T14:02:39.316+05:30जिसकी गज़ल का
दिलकश रुमानी मिसरा होने की चाह थी
उसक...जिसकी गज़ल का<br />दिलकश रुमानी मिसरा होने की चाह थी<br />उसकी किताब में सवालों का पन्ना बन गयी।<br />बड़ा विचलित होता है मन आखिर सकारात्मकता लाये भी तो कहाँ से...जो सच है उसे स्वीकारने में हर्ज भी क्या है हाँ स्वीकारोक्ति भी इतनी खूबसूरत हो तो बात ही क्या...<br /><br />इच्छाओं की बाबड़ी, <br />सतह पर तैरते अतृप्ति के दानों के दुख में<br />तल में भरी अनगिन खुशियों से अंजान रही।<br />भरी नकारात्मकता में भी जब ये पता चल ही जाय कि ये अतृप्ति के दाने ही दुख का कारण है तो तल में घुसने मे गुरेज भी क्या...<br />सुख आस पास ही है ये पता हो तो दुख हल्का हो जाता है<br />जो मिल न सका<br />उसको छूने की तड़प नदी में बहाकर<br />अब चिड़िया हो जाना चाहती हूँ।<br />बस फिर उड़ने से रोक ही कौन सकता है और शुरू होता है इस अभिनय का अगला पार्ट!!<br />बहुत ही लाजवाब एवं चिन्तनपरक सृजन।<br />वाह!!!!Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-8306983103606765552021-11-30T13:28:47.692+05:302021-11-30T13:28:47.692+05:30वाह ... कितना कुछ कह दिया इन शब्दों के माध्यम से ....वाह ... कितना कुछ कह दिया इन शब्दों के माध्यम से ...<br />अभिव्यक्ति की पराकाष्ठ ...<br />लाजवाब ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-85470850267192424732021-11-27T22:01:59.618+05:302021-11-27T22:01:59.618+05:30जो मिल न सका
उसको छूने की तड़प नदी में बहाकर
अब चिड़...जो मिल न सका<br />उसको छूने की तड़प नदी में बहाकर<br />अब चिड़िया हो जाना चाहती हूँ।<br />....और चिड़ियों की चाहत का क्या? कभी कोई उनसे घौंसला टूटने और नवजात के लुट जाने का दर्द भी पूछे!!!<br />पर<br />इक सुन्दर सी रचना हेतु बधाई और शुभकामनाएं।पुरुषोत्तम कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/16659873162265123612noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-45770730092261343382021-11-27T19:01:40.746+05:302021-11-27T19:01:40.746+05:30जीवन की सबसे बड़ी बिडंबना यही है कि हम लाख चाह कर भ...जीवन की सबसे बड़ी बिडंबना यही है कि हम लाख चाह कर भी अपनी सांसे किसी अपने को नहीं दे सकते लोकेष्णा (लोपामुद्रा )https://www.blogger.com/profile/06507123818443790796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-2100445160652734112021-11-27T07:54:52.860+05:302021-11-27T07:54:52.860+05:30अंतरिक्ष के अनसुलझे रहस्य सी कुछ विचलित सा रहस्यमई...अंतरिक्ष के अनसुलझे रहस्य सी कुछ विचलित सा रहस्यमई मंथन।<br />श्वेता आपकी घुमावदार लेखनी शानदार व्यंजनाएं और गहन भाव हृदय को आलोडित कर देते हैं ।<br />लेखन अप्रतिम है पर गहन नकारात्मक भावों से ध्यान हटा लेखनी को सकारात्मक ऊर्जा से जोड़ों।<br />सस्नेह साधुवाद।मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-69898447553219106092021-11-26T13:19:35.102+05:302021-11-26T13:19:35.102+05:30अभी चाँद पर हो न ..... फिर भला क्यों कूदना चाहती ह...अभी चाँद पर हो न ..... फिर भला क्यों कूदना चाहती हो । ये कूद फाँद कर नींद नहीं आती । ज़रा चित्त स्थिर करो ..... एक लंबी साँस लो फिर देखो कैसी प्यारी नींद आती है । गहरी न आएगी समझीं ? <br />जब ज्यादा काम कर थकान हो जाती है तो ऐसे ही फालतू से विचार आते हैं और सुंदर क्रमबद्ध तरीके से सुंदर शब्दों में लपेट पेश कर दिए जाते हैं । और इसमें तो तुम माहिर हो ही । रचना खूबसूरत है । बस चाँद पर बैठी रहो । संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-14682122161015321562021-11-26T09:44:14.941+05:302021-11-26T09:44:14.941+05:30ऐसी अभिव्यक्ति को कोई भावुक हृदय ही अनुभूत कर सकता...ऐसी अभिव्यक्ति को कोई भावुक हृदय ही अनुभूत कर सकता है।जितेन्द्र माथुरhttps://www.blogger.com/profile/15539997661147926371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-3471014010841880892021-11-26T08:52:21.167+05:302021-11-26T08:52:21.167+05:30बहुत बढ़ियाबहुत बढ़ियाOnkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-70554196407977166502021-11-25T21:18:40.808+05:302021-11-25T21:18:40.808+05:30वाह वाह सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-6913799795451022972021-11-25T17:58:48.203+05:302021-11-25T17:58:48.203+05:30प्रिय श्वेता, जीवन की तमाम उलझनों के बीच यदा-कदा म...प्रिय श्वेता, जीवन की तमाम उलझनों के बीच यदा-कदा मन ऐसी स्थिती से भी गुजरता है, जब भीतर एक विराट रिक्तता का एहसास होता है। प्राप्य से असंतुष्ट और अप्राप्य की लालसा में डोलता मन इसके सिवाय कुछ और नहीं सोच सकता। बहुत दिन बाद लिखा और खूब लिखा। विचलित मन की अधूरी कामनाओं का लेखा जोखा करतीं रचना के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। ये पंक्तियां विशेष रूप से शानदार लगी ---<br />चाँद से कूदकर<br />अंधेरे में गुम होते सपनों से बेपरवाह<br />अब दिल के किवाड़ पर चिटकनी चढ़ाकर <br />गहरी नींद सोना चाहती हूँ।<br />👌👌🌷🌷❤️❤️रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-90779636445588661082021-11-25T17:28:28.411+05:302021-11-25T17:28:28.411+05:30इच्छाओं की बाबड़ी,
सतह पर तैरते अतृप्ति के दानों क...इच्छाओं की बाबड़ी, <br />सतह पर तैरते अतृप्ति के दानों के दुख में<br />तल में भरी अनगिन खुशियों से अंजान रही। <br />सही व सटीकyashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.com