tag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post5597587241018278330..comments2024-03-23T15:18:44.393+05:30Comments on मन के पाखी: सोच ज़माने कीSweta sinhahttp://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-45424312554950775022019-11-06T10:29:24.761+05:302019-11-06T10:29:24.761+05:30स्वेता दी, जैसा कि आपने कहा...देखा है मैंने
दिन-र...स्वेता दी, जैसा कि आपने कहा...देखा है मैंने <br />दिन-रात की मनौतियों<br />देवता -पित्तर से बेटे के<br />आशीष की गुहार में<br />अनचाही उगी बेटियाँ<br />बाप-भाई के दूध-बताशे के कटोरे में<br />पानी में भीगी <br />बासी रोटियाँ खाकर तृप्त<br />खर-पतवार-सी बढ़ती जाती हैं<br />यहीं आज भी कडवी सच्चाई हैं! बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।Jyoti Dehliwalhttps://www.blogger.com/profile/07529225013258741331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-72061666651576105132019-11-04T14:42:46.036+05:302019-11-04T14:42:46.036+05:30ये सच है की स्थिति ज्यादा नहीं बदली ... पर फिर भी ...ये सच है की स्थिति ज्यादा नहीं बदली ... पर फिर भी बदलाव की बयार कहीं कहीं तो नजर आती है जो और कुछ नहीं तो आशा की एक उम्मीद तो जगाती कहीं न कहीं ... और इसी के सहारे आगे आना होगा सब को ... हर इंसान को इस बदलाव में सहभागी होना होगा ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-38187931512981544492019-11-02T15:14:43.171+05:302019-11-02T15:14:43.171+05:30सत्य कहा आपने की "बेटियों के लिए सोच जमाने ने...सत्य कहा आपने की "बेटियों के लिए सोच जमाने ने कब बदली" वो बढ़ जाती है जंगली खरपतवार की तरह उन्हें दूध दही में डूबी रोटी की जरूरत नहीं ...बना दो पुरानी साड़ियों का फ्रॉक उन्हें गोटेदार लहंगे की जरूरत नहीं.... अभी भी ऐसी सोचे गांव देहात या कहें शहरों में भी कई जगह देखने को मिलती है.. तकलीफ तो होती है बेटियों के हिस्से में ज्यादा प्यार नहीं आता पर यह भी सत्य है कि आज के समय में कई परिवार बेटियों को मान सम्मान उच्च शिक्षा और सारी चीजें मुहैया करा रहे हैं ...जो एक लड़के को दी जाती है..<br />आज वर्तमान में बेटियों के प्रति जो माहौल पैदा हो रहा है उन सब चीजों से थोड़ा डर लगता है वरना ऐसे कई परिवार हैं जो बेटियों को बहुत प्यार करते हैं ...बहुत ही शानदार रचना आपने लिखिए बधाई आपको..!!Anita Laguri "Anu"https://www.blogger.com/profile/10443289286854259391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-24726358983949819212019-11-02T11:00:02.368+05:302019-11-02T11:00:02.368+05:30माँ-बाबू पर दया दृष्टि डालते परिजन की
"लक्ष्म...माँ-बाबू पर दया दृष्टि डालते परिजन की<br />"लक्ष्मी आई है"के घोष में दबी फुसफुसाहटें<br /><br />जी हां श्वेता जी ये सब खोखली खुशियाँ ही तो है जो बरसों से लोगों ने मुहँ पर सजा रखी है <br /><br />बहुत सुन्दर सत्य लेखन 👌अश्विनी ढुंढाड़ाhttps://www.blogger.com/profile/03416174588302665609noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-60377238157736200852019-11-02T07:31:13.016+05:302019-11-02T07:31:13.016+05:30जी दी, ऐसे संस्मरण मन को व्यथित करते है।
मेरी छोटी...जी दी, ऐसे संस्मरण मन को व्यथित करते है।<br />मेरी छोटी बहन के साथ हॉस्पिटल में बिताये समय ने ऐसे अनेक मार्मिक अनुभव दिये...हैं मेरी यह रचना उन्ही अनुभव का परिणाम है। <br />आपका स्नेहाशीष सदैव ऊर्जा से भर जाता.है।<br />सादर शुक्रिया दी।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-52475819809149248542019-11-02T07:24:49.321+05:302019-11-02T07:24:49.321+05:30आभारी हूँ अनु तुूम्हारे सहयोग से ज्यादा लोग इस रचन...आभारी हूँ अनु तुूम्हारे सहयोग से ज्यादा लोग इस रचना को पढ़ पाये।<br />सस्नेह शुक्रिया।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-60878206762074766342019-11-02T07:23:28.437+05:302019-11-02T07:23:28.437+05:30आभारी हूँ दी।
आपका स्नेह मनोबल और ऊर्जा बनाये रखत...आभारी हूँ दी। <br />आपका स्नेह मनोबल और ऊर्जा बनाये रखता है।<br />सादर।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-12450933666861192702019-11-02T07:22:30.945+05:302019-11-02T07:22:30.945+05:30जी सुधा जी...सही कहा आपने।
सादर शुक्रिया बहुत आभार...जी सुधा जी...सही कहा आपने।<br />सादर शुक्रिया बहुत आभारी हूँ।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-75821038479140200222019-11-02T07:21:15.533+05:302019-11-02T07:21:15.533+05:30जी सर आपकी सार्थक प्रतिक्रिया पाकर बहुत अच्छा लग र...जी सर आपकी सार्थक प्रतिक्रिया पाकर बहुत अच्छा लग रहा।<br />आज भी चंद मुट्ठीभर बेटियों को छोड़ दें तो स्थिति में खास सुधार नहीं दिखता है।<br />सादर शुक्रिया सर आपका आशीष सदैव अपेक्षित है।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-37461939300227795412019-11-02T07:17:49.737+05:302019-11-02T07:17:49.737+05:30जी आभारी हूँ सादर शुक्रिया ।जी आभारी हूँ सादर शुक्रिया ।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-89980049356215358222019-11-02T07:17:28.314+05:302019-11-02T07:17:28.314+05:30जी दीदी आप तो समझ ही रही है न।
सादर आभार आपका स्ने...जी दीदी आप तो समझ ही रही है न।<br />सादर आभार आपका स्नेहाशीष बना रहे।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-34529307986708164372019-11-02T07:16:02.907+05:302019-11-02T07:16:02.907+05:30Thanku so much chandra.Thanku so much chandra.Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-16747902641703076642019-11-02T07:15:27.943+05:302019-11-02T07:15:27.943+05:30जी, सच कहा दी आपने सादर आभार दी बहुत शुक्रिया।जी, सच कहा दी आपने सादर आभार दी बहुत शुक्रिया।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-64566354018897135652019-11-02T07:14:35.147+05:302019-11-02T07:14:35.147+05:30आभारी हूँ रोहित जी..रचना पर आपकी विश्लेषणात्मक प्र...आभारी हूँ रोहित जी..रचना पर आपकी विश्लेषणात्मक प्रतिक्रिया अच्छी लगी।<br />सादर शुक्रिया।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-63327053217876477282019-11-02T06:28:25.010+05:302019-11-02T06:28:25.010+05:30जी सादर आभार सर। शुक्रिया।जी सादर आभार सर। शुक्रिया।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-49358281409410083252019-11-01T23:34:58.946+05:302019-11-01T23:34:58.946+05:30प्रिय श्वेता , रचना के बहाने मुझे भी एक बात ...प्रिय श्वेता , रचना के बहाने मुझे भी एक बात याद आई | जिस हॉस्पिटल में मेरे बेटे का जन्म हुआ था उसी में मैंने एक बहुत ही हृदयविदारक दृश्य देखा जिसे देख मैं बहुत दिनों तक विचलित रही | बेटे के जन्म के कुछ समय बाद ही मेरे पास वाले बिस्तर पर एक महिला भी लेटी थी | महिला को एक नर्स एक बड़े सी प्लेट में कुछ देकर गयी | मैंने देखा वह एक अजन्मी बेटी थी जिससे उस महिला ने जन्म से पहले ही मुक्ति पा ली थी | गले में बाहें लपेटे वह बेटी सुकून की नींद सो रही थी , सांवली रंगत की मोटी मोटी आँखों वाली वह नन्ही परी अगर जीती तो आज मेरे बेटे से कुछ ही छोटी बाईस साल की होती |उसे मैं कभी भूल नहीं पाती | ये उन दिनों की बात है जब बसों , चौराहों और हर गली कूचे में लडकी या लडका के पोस्टर लगे होते थे | आज सोचती हूँ तो सरकार की उस उदासीनता पर दुख और क्षोभ होता है | अगर सरकार ने उन दिनों उन अमानवीयता की दुकानों को शीघ्र बंद करवा दिया होता तो ना जाने कितनी बेटियों की जान बच जाती | खैर , उस महिला से मेरी सास ने पूछा तो वह बोली कि यह चौथी बच्ची थी और सास - ननद के तानों के साथ पति शराबी , जिससे उसने यही उचित समझा कि चौथी बेटी को जन्म ही ना देने दिया जाए | वह बहुत शांत थी और नर्स तो मानों इन कामों की अभ्यस्त ही थी पर मुझे महीनों उस बच्ची का चेहरा विचलित करता रहा | ये 1997 की बात है | उसके बाद ढाई साल बाद मेरी बेटी काजन्म हुआ तब मुझे कुछ संतोष हुआ | मै बेटी को ईश्वर का अनमोल उपहार मानती हूँ |आज भी सचमुच एक लडकी के लिए बहुत कुछ नहीं बदला है | दुनिया की बेधती नजरों का सामना करती और घर- समाज में भेदभाव सहती बेटियां कब इन पूर्वाग्रहों से मुक्त हो आराम से जी पाएंगी पता नहीं पर ऐसे भी लोग हैं जो बिना किसी भेदभाव के बेटियों को उनका हक दे रहे हैं | बस वही आशा की एक किरण हैं | रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-34285198702293813822019-11-01T13:38:35.042+05:302019-11-01T13:38:35.042+05:30जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल ...<br />जी नमस्ते,<br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०२ -११ -२०१९ ) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">"सोच ज़माने की "(चर्चा अंक -३५०७)</a> पर भी होगी।<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />आप भी सादर आमंत्रित है <br />….<br />अनीता सैनी अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-57816898249381949482019-11-01T07:05:41.436+05:302019-11-01T07:05:41.436+05:30बाप-भाई के दूध-बताशे के कटोरे में
पानी में भीगी
ब...बाप-भाई के दूध-बताशे के कटोरे में<br />पानी में भीगी <br />बासी रोटियाँ खाकर तृप्त<br />खर-पतवार-सी बढ़ती जाती हैं<br />पढ़ाई के लिए कॉपी के बचे पन्ने,<br />बिना कैप वाली आधी रिफिल <br />भैय्या का पुराना बैग सहेजती<br />सुनती है घर के बुज़ुर्गों से<br />कुछ काम-काज सीख ले...<br />एक कटु सत्य... सिर्फ दिखावे की मुस्कान और बधाई.....सच यही है आज भी बेटियां खरपतवार सी ....<br />बहुत ही लाजवाब रचना <br />वाह!!!<br />Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-60635123221341965802019-11-01T06:20:35.342+05:302019-11-01T06:20:35.342+05:30श्वेता, तुमने समाज की दुखती राग पर हाथ रख दिया है....श्वेता, तुमने समाज की दुखती राग पर हाथ रख दिया है.अगर कन्या-भ्रूण को गर्भ में ही समाप्त नहीं कर दिय गया तो बेटी के पैदा होने पर उल्टा तवा बजाया जाता है. सब यह कहकर दिलासा देते हैं कि अगली बार बेटा ही होगा. भारत में आज भी शकुंतला, अहल्या, सीता, द्रौपदी, यशोधरा और निर्भया बिलख रही हैं. इस समस्या का निदान भारत की किसी बेटी को ही करना होगा. घर में और समाज में उसे अपनी लड़ाई खुद लडनी होगी और जीतनी भी होगी. इस लड़ाई में खोने के लिए सिर्फ़ उसकी दासता का जंजीरें हैं और भोगने को आसमान की बुलंदी है. <br /> गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-7198846623316568922019-10-31T20:23:34.007+05:302019-10-31T20:23:34.007+05:30बहुत उम्दाबहुत उम्दाLokesh Nashinehttps://www.blogger.com/profile/10305100051852831580noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-89660282317026207082019-10-31T20:20:24.046+05:302019-10-31T20:20:24.046+05:30बहुत ही सुंदर ढंग और बेहतरीन तरीके से उजागर किया ह...बहुत ही सुंदर ढंग और बेहतरीन तरीके से उजागर किया है तुमने स्वेता बेटियों के लिए जमाने की सोंच को। SUJATA PRIYEhttps://www.blogger.com/profile/04317190675625593228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-39262337917765785182019-10-31T19:49:14.338+05:302019-10-31T19:49:14.338+05:30very beautifully written the truth of world.
very ...very beautifully written the truth of world.<br />very nice.Chandranoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-29409028773218631172019-10-31T19:27:51.992+05:302019-10-31T19:27:51.992+05:30वाह!!श्वेता ,बेहतरीन सृजन ...। सही है सोच कहाँ बदल...वाह!!श्वेता ,बेहतरीन सृजन ...। सही है सोच कहाँ बदली है ? शायद केवल शाब्दिक सोच बदली है पर यथार्थ कुछ और ही है ।शुभा https://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-83719891497487311242019-10-31T19:07:17.939+05:302019-10-31T19:07:17.939+05:30सच लिख दिए हो
बिल्कुल जो घटित होता है समाज में, जो...सच लिख दिए हो<br />बिल्कुल जो घटित होता है समाज में, जो पंक्तियां बेटियों के जन्म पर काम में लायी जाती है वो केवल क्षणिक संतुष्टि देती प्रतीत होती है।<br />खोखली मुस्कुराहट के पीछे छुपी कुलबुलाहट को उजागर करती ये रचना प्रश्न भी करती है और जवाब भी देती है।<br />बेहतरीन सृजन के लिए बधाई।<br /><br />आपका नई रचना पर स्वागत है 👉👉 <a href="https://rohitasghorela.blogspot.com/2019/10/blog-post_30.html" rel="nofollow">कविता </a>Rohitas Ghorelahttps://www.blogger.com/profile/02550123629120698541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-14429284249865149992019-10-31T19:04:23.243+05:302019-10-31T19:04:23.243+05:30सयानी होती बेटियों के
इर्द-गिर्द घूमती दुनिया देख ...सयानी होती बेटियों के<br />इर्द-गिर्द घूमती दुनिया देख <br />अनायास ही सोचती हूँ<br />बेटियों के लिए सोच ज़माने ने कब बदली?<br />व्वाहहहह..<br />सादर...Digvijay Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/10911284389886524103noreply@blogger.com