tag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post6959184908786658186..comments2024-03-23T15:18:44.393+05:30Comments on मन के पाखी: मत लिखो प्रेम कविताएँSweta sinhahttp://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comBlogger45125tag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-29049865871592932222020-02-20T06:53:19.034+05:302020-02-20T06:53:19.034+05:30" अगर कहलाना है तुम्हें
अच्छा कवि "
आप..." अगर कहलाना है तुम्हें<br /><br />अच्छा कवि "<br /><br />आपकी इन पंक्तियों पर असहमत हूँ और असहजता महसूस हुई है। यह नहीं मालूम कि किस परिस्थितिवशआपके मस्तिष्क में किनकी उलाहना से आहत होकर ये रचना पनपी होगी, पर यह सोच गलत है।<br />सर्वप्रथम यहाँ "अच्छा" और "बुरा" या "हल्का" और "भारी" का कोई मापदण्ड किसने तय किया है भला ? समाज को दोनों ही रचनाओं की जरुरत है।<br />हमेशा कहता हूँ कि ... सब की अलग-अलग नजरिया है, तभी तो दुनिया रंगीन है। कविता या कोई भी रचना मन की अभिव्यक्ति है। किसी के लिए मन का भंडास निकालने का साधन मात्र है। किसी के लिए किसी सामाजिक सन्देश को फैलाने का साधन। वह रचनाकार की सोच .. मन पर निर्भर करता है।<br />जितना सामाजिक सारोकार वाली रचना आवश्यक है, उतनी ही प्रेम और प्रकृत्ति की शब्द-चित्र वाली अनूठी बिम्बों से सजी रचना। ठीक वैसे ही जैसे एक जीवित शरीर के लिए जितना भोजन ग्रहण करने वाले अंग आवश्यक है, उतनी ही मल त्यागने वाले अंग भी। उसे सही या गलत नहीं ठहराया जा सकता।<br />पर अगर कोई प्रेम की रुमानियत भरी कविता ही गढ़े तो उसकी रुमानियत वाली छवि बननी स्वाभाविक है। जैसे सामजिक सारोकार वाली रचना से समाज सुधारक वाली छवि बनती है। स्वाभाविक है। रचनाएँ कोरी कल्पना भर नहीं होती। सच और कल्पना का सम्मिश्रण हीं होती है प्रायः। मन में भाव या विचार आए बिना कोई भी रचना रच ही नहीं सकता, ऐसा मेरा मानना है।शायद गलत भी हो।<br />इस से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि पुरुष-प्रधान समाज में प्रायः पुरुष वर्ग में से अधिकांशतः पुरुष चाहे वह किसी भी उम्र के हों, किसी महिला रचनाकार की रुमानियत भरी, विरह भरी या दर्द भरी रचना से उस महिला के विरहन होने और सहज उपलब्ध होने का भ्रम भी पाल लेते हैं। स्वयं को ही उस रचनाकार के मन के आँगन का नायक मानने लगते हैं। जबकि कई बार वह महिला रचनाकार अपने पति या फिर पूर्व या वर्तमान किसी प्रेमी को अपने रचना के केंद्र में सोच कर रची होती है। <br />वैसे भी अमृता प्रीतम या महादेवी वर्मा बनना इतना भी आसान नहीं। सामजिक जीवन के तय मापदण्ड वाले पारिवारिक जीवन का खुल कर परित्याग करना पड़ता है या फिर जीवन भर दोहरी ज़िन्दगी जीनी पड़ती है। आम महिला को उस रूप में समाज कभी ना स्वीकार करे, पर प्रसिद्धि मिल जाने पर लोग हाथों-हाथ लेते हैं .. कहते हैं ना ... समर्थ को नहीं दोष गोसाईं ...Subodh Sinhahttps://www.blogger.com/profile/05196073804127918337noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-83272205820405479012020-02-17T22:25:16.569+05:302020-02-17T22:25:16.569+05:30आज आपकी कलम ने तो कमाल ही कर दिया श्वेता जी ,बहुत...आज आपकी कलम ने तो कमाल ही कर दिया श्वेता जी ,बहुत ही सुंदर चर्चा -परिचर्चा हो गई और इसी बहाने बहुत कुछ सीखने और समझने को मिला। जब भी एक रचनाकार का मन समाज को देख व्यथित होता हैं तो कमाल ही करता हैं। आप की इस सुंदर सृजन के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं ,सादर Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-67913297493994767772020-02-17T15:03:08.050+05:302020-02-17T15:03:08.050+05:30बहुत सुंदर और सार्थक अभिव्यक्ति श्वेता जीबहुत सुंदर और सार्थक अभिव्यक्ति श्वेता जीAnuradha chauhanhttps://www.blogger.com/profile/14209932935438089017noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-49999372316088877272020-02-16T17:02:17.834+05:302020-02-16T17:02:17.834+05:30आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द&qu...<i><b> आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 17 फरवरी 2020 को साझा की गयी है.........<a href="http://halchalwith5links.blogspot.in/" rel="nofollow"> पाँच लिंकों का आनन्द पर </a>आप भी आइएगा....धन्यवाद! </b></i>yashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-83423627952036997922018-04-21T06:16:57.096+05:302018-04-21T06:16:57.096+05:30😂😂😂
बहुत आभार दी।
सादर।😂😂😂<br />बहुत आभार दी।<br />सादर।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-22088584698480849292018-04-21T06:16:22.666+05:302018-04-21T06:16:22.666+05:30बहुत-बहुत आभार आपका दीपाली जी,आपने सुंदर विश्लेषण ...बहुत-बहुत आभार आपका दीपाली जी,आपने सुंदर विश्लेषण किया।<br />कृपया आते रहे।<br />Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-83614447477873816632018-04-20T12:21:42.976+05:302018-04-20T12:21:42.976+05:30यहां पर क्या मुशायरा हो रहा है
हमें नही आता लिखना....यहां पर क्या मुशायरा हो रहा है<br />हमें नही आता लिखना...<br />गज़ब की कविता<br />सादरyashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-51035753012882075992018-04-17T22:16:56.564+05:302018-04-17T22:16:56.564+05:30बहुत सुंदर रचना, एक तरह का अंतर्द्वंद कइयों के मन ...बहुत सुंदर रचना, एक तरह का अंतर्द्वंद कइयों के मन मस्तिष्क में चल रही उथल पुथल को शब्द दे दिए मानो आपने, हालांकि कुछ बातें चुभीं यह सही है कि लेखन को बांधा नही जा सकता,आसपास समाज,वातावरण में होने वाली घटनाये जो प्रभाव हम पर डालती हैं कई बार हम उनसे बचना भी चाहते है, यह ठीक ऐसा ही है जैसे रोज की भाग दौड़ की थकान मिटाने हम किसी स्थान पर जो प्राकृतिक रूप में सुंदरतम हो वहां जाना पसंद करते हैं और वो कुछ ही समय प्रकृति के सुंदरतम सानिध्य का एक नई ऊर्जा से भर देता है हमे ठीक वैसे ही प्रेम और प्रकृति पर आधारित रचनाएं होती हैं पाठक कुछ समय तो उसे अनुभूत कर प्रसन्न हो लेता हैDeepalee thakurhttps://www.blogger.com/profile/00641314124931707399noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-87318124946630861652018-04-17T20:10:57.532+05:302018-04-17T20:10:57.532+05:30प्रिय अभि जी,
आपके नेह और आपकी सकारात्मक प्रतिक्रि...प्रिय अभि जी,<br />आपके नेह और आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया से हम अभिभूत है बेहद आभारी है आपके।<br />आपकी सराहना के लिए बेहद आभार।<br />हम जरुर लिखेंगे अपने प्रिय विषय पर जल्दी ही।<br />स्नेह बनाये रखे।<br />सादर।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-51436363182163379362018-04-17T20:07:40.199+05:302018-04-17T20:07:40.199+05:30अति आभार हृदयतल से आभार।आपका पम्मी जी,पाँच लिंक के...अति आभार हृदयतल से आभार।आपका पम्मी जी,पाँच लिंक के लिए रचना का चुना जाना सदैव आहृलादित करता है।<br />आभार<br />सादर।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-60643492942130937282018-04-17T20:05:12.531+05:302018-04-17T20:05:12.531+05:30प्रिय मीना जी,
आप सब का यही प्रेम है जो मुझे नित क...प्रिय मीना जी,<br />आप सब का यही प्रेम है जो मुझे नित कुछ नया लिखने को अपने विचार साझा करने को प्रेरित होते है। एक नवीन उत्साह से भर जाती है मेरी कलम।<br />प्रेम के लिए धन्यवाद कहना उचित नहीं। बहुत सारा स्नेह प्रिय मीना जी।<br />कृपया अपनी स्नेह दृष्टि बनाये रखे सदैव।<br />सादर।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-13755377273547152662018-04-17T20:00:28.190+05:302018-04-17T20:00:28.190+05:30क्या कहें हम दी निःशब्द है।
आपने मीना जी की प्रतिक...क्या कहें हम दी निःशब्द है।<br />आपने मीना जी की प्रतिक्रिया और विस्तार दे दिया। बहुत ही जोरदार प्रतिक्रिया दी आपने। वाह्ह्ह..<br />और यह स्पष्ट भी कर दिया। एकदम सही कहा आपने और हम आपसे सहमत भी है क्या गज़ब कहा आपने <br />"कवि बाजारवाद की मांग नही कि जो मांग हो आपूर्ति करे।"👍👍👌👌👌👌<br />जितना भी आभार कहे हम कम है।<br />हृदयतल से अति आभार आपका। बेहद शुक्रिया आपका। सस्नेह।<br />सादर। Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-969707806234196802018-04-17T19:46:05.419+05:302018-04-17T19:46:05.419+05:30सुधा जी,
मेरी रचना को नये भावों से दृष्टिगत किया आ...सुधा जी,<br />मेरी रचना को नये भावों से दृष्टिगत किया आपने। आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया ने बहुत प्रभावित किया है।<br />कृपया नेह बनाये रखे सदा।<br />हृदयतल से अति आभार<br />सादर।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-54243060652660219022018-04-17T19:42:54.064+05:302018-04-17T19:42:54.064+05:30अति आभार आपका प्रिय इन्दिरा जी।
प्रतिक्रियाएँँ चाह...अति आभार आपका प्रिय इन्दिरा जी।<br />प्रतिक्रियाएँँ चाहे कितनी भी लंबी हो आपकी एक प्रतिक्रिया मनोबल में वृद्धि करती है सदा। Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-81399626113886431592018-04-17T19:41:20.766+05:302018-04-17T19:41:20.766+05:30अपर्णा जी आपकी इतनी सुंदर और सारगर्भित प्रतिक्रिया...अपर्णा जी आपकी इतनी सुंदर और सारगर्भित प्रतिक्रिया मन मोह गयी। बेहद आभारी हूँ आपकी।<br />आपकी रचना आशावादी और सकारत्मकता की ओर इंगित करती है।<br />हृदयतल से अति आभार आपका। स्नेह बनाये रखिये।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-60393291999522933572018-04-17T19:37:29.191+05:302018-04-17T19:37:29.191+05:30जी नासवा जी आभार आपका मेरी कविता की सकारात्मकता सम...जी नासवा जी आभार आपका मेरी कविता की सकारात्मकता समझने के लिए तहेदिल से शुक्रिया,बेहद आभार आपका।<br />Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-32495188504968157702018-04-17T19:36:06.600+05:302018-04-17T19:36:06.600+05:30अति आभार आपका सर।तहेदिल से शुक्रिया बहुत सारा।अति आभार आपका सर।तहेदिल से शुक्रिया बहुत सारा।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-18851738478981653692018-04-17T19:34:47.050+05:302018-04-17T19:34:47.050+05:30अति आभार आपका पम्मी जी।
हृदयतल से बेहद आभारी है आप...अति आभार आपका पम्मी जी।<br />हृदयतल से बेहद आभारी है आपके।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-86584901229627001342018-04-17T19:33:23.419+05:302018-04-17T19:33:23.419+05:30प्रिय मीना जी'
आपकी विस्तृत और विवेचनापूर्ण प्...प्रिय मीना जी'<br />आपकी विस्तृत और विवेचनापूर्ण प्रतिक्रिया के लिए जितना भी आभार कहे हम कम होगा।<br />बहुत सुंदरता से आपने जो संदेश प्रेषित किया हैव वो कमाल है सचमुच।<br />किसी रचना की सार्थकता तभी है जब उसमें निहित संदेश और भाव कोई समझ जाये। आपका मेरी कविता पर किया गया विश्लेषण एकदम सटीक है।<br />प्रेम और प्रकृति मेरी कविताओं की आत्मा है भला आत्मा को मार कर जीवंत कविताएँ कैसे लिखी जा सकेंगी।<br /> आपकी सुलझी हुई विचारशील प्रतिक्रिया ने नया उत्साह भर दिया है मुझमें। जलते कवि मन पर शीतल लेप लगाने के लिए आपके सदैव आभारी रहेंगे हम।<br />हृदयतल से बहुत-बहुत आभार आपका।<br />सादर, स्नेहसहित ।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-8171447297924172392018-04-17T19:25:44.659+05:302018-04-17T19:25:44.659+05:30आदरणीय रवींद्र जी,
आपकी संतुलित आलोचनात्मक सोच बेह...आदरणीय रवींद्र जी,<br />आपकी संतुलित आलोचनात्मक सोच बेहद प्रभावी है।<br />हाँ आपने सही कहा प्रकृति और प्रेम मेरे प्रिय विषय है और सदा रहेगे। पर कभी -कभी कुछ शब्द विचारों को उद्वेलित करते है तो ऐसी कविताएँ फूट पड़ती है।<br />आपकी संतुलित और मार्गदर्शक प्रतिक्रिया के लिए आभारी है हमेशा।<br />आपके सहयोग और साथ के लिए सदैव आभारी रहेगे।<br />बहुत-बहुत आभार आपका हृदयतल से।<br />Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-69116352327320997042018-04-17T19:19:38.942+05:302018-04-17T19:19:38.942+05:30बहुत-बहुत आभार आपका शुभा दी।
तहेदिल से शुक्रिया आप...बहुत-बहुत आभार आपका शुभा दी।<br />तहेदिल से शुक्रिया आपका।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-43973431225560957982018-04-17T19:18:49.795+05:302018-04-17T19:18:49.795+05:30जी विश्वमोहन जी,आपकी बातों से पूर्णतया सहमत है हम ...जी विश्वमोहन जी,आपकी बातों से पूर्णतया सहमत है हम पर कभी-कभी मन के भरे भाव बहना जरुरी होता है।<br />आपकी सारगर्भित सुंदर आशीर्वचनों के लिए हृदयतल से आभार। Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-61400073461236715672018-04-17T19:16:10.943+05:302018-04-17T19:16:10.943+05:30बहुत-बहुत आभार आपका विनोद जी।
आपकी प्रतिक्रिया ब्ल...बहुत-बहुत आभार आपका विनोद जी।<br />आपकी प्रतिक्रिया ब्लॉग पर पाकर मन प्रसन्न हुआ।<br />हृदयतल से धन्यवाद।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-15342364000105413532018-04-17T19:14:48.444+05:302018-04-17T19:14:48.444+05:30बहुत-बहुत आभार आपका नीतू जी।
हृदयतल से धन्यवाद आपक...बहुत-बहुत आभार आपका नीतू जी।<br />हृदयतल से धन्यवाद आपका।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-48067570573640527942018-04-17T19:14:00.388+05:302018-04-17T19:14:00.388+05:30बहुत आभार आपका लोकेश जी।
तहेदिल से शुक्रिया खूब सा...बहुत आभार आपका लोकेश जी।<br />तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.com