tag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post8345108585610955363..comments2024-03-23T15:18:44.393+05:30Comments on मन के पाखी: किसानSweta sinhahttp://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-14716258659104884352020-12-22T16:56:21.947+05:302020-12-22T16:56:21.947+05:30विचारों की गहन अहिव्यक्ति है ये रचना ...विचारों की गहन अहिव्यक्ति है ये रचना ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-57081685378999994142020-12-17T09:05:59.645+05:302020-12-17T09:05:59.645+05:30मर्मस्पर्शी एवं सत्यपरक सृजन ।मर्मस्पर्शी एवं सत्यपरक सृजन ।जितेन्द्र माथुरhttps://www.blogger.com/profile/15539997661147926371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-148146639899395312020-12-11T19:01:40.040+05:302020-12-11T19:01:40.040+05:30आदरणीया श्वेता सिन्हा जी, किसानों की दशा और संघर्ष...आदरणीया श्वेता सिन्हा जी, किसानों की दशा और संघर्ष की सुंदर सच्ची अभिव्यक्ति!<br />गाँव से राजधानी की ओर<br />कूच करते कुछ खास<br />प्रदेशों के समृद्ध अन्नदाता <br />संगठित,ओजपूर्ण<br />जोशीले, जिद्दी और<br />सजग हैं, उनके तेवर<br />हाशिये पर पड़े प्रदेशों के<br />मरियल, मिमियाते<br />हालात की पहेलियों में<br />उलझे गरीब,मजबूर किसानों से<br />बिल्कुल नहीं मिलते<br />--ब्रजेन्द्रनाथMarmagya - know the inner selfhttps://www.blogger.com/profile/12590186684533332662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-43555357272508615542020-12-11T00:04:49.294+05:302020-12-11T00:04:49.294+05:30अनाज़ की पोटली बाँधे
हक़ की बात पर
लाव-लश्कर के साथ
...अनाज़ की पोटली बाँधे<br />हक़ की बात पर<br />लाव-लश्कर के साथ<br />गाँव से राजधानी की ओर<br />कूच करते कुछ खास<br />प्रदेशों के समृद्ध अन्नदाता <br />संगठित,ओजपूर्ण<br />जोशीले, जिद्दी और<br />सजग हैं, उनके तेवर<br />हाशिये पर पड़े प्रदेशों के<br />मरियल, मिमियाते<br />हालात की पहेलियों में<br />उलझे गरीब,मजबूर किसानों से<br />बिल्कुल नहीं मिलते<br />जी सही कहा मैं भी इसी दुविधा में हूँ अभी कुछ वीडियो में देखा ये किसान काजू किशमिश बाँट रहे हैं अगर ये गरीब किसान हैं तो......?<br />मुझे बहुत फ़र्क़ पड़ता है<br />किसानों की गतिविधियों से<br />अपने-अपने<br />कर्मपथ के जुझारू पथिक<br />हैं हम दोनों ... <br />बहुत सटीक ......सार्थक एवं विचारोत्तेजक<br />लाजवाब सृजन।<br />Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-69034518835468774922020-12-09T17:41:23.451+05:302020-12-09T17:41:23.451+05:30बहुत बहुत सुन्दर बहुत बहुत सुन्दर आलोक सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/17318621512657549867noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-76595043981252571142020-12-09T08:31:22.558+05:302020-12-09T08:31:22.558+05:30बहुत सुन्दर और सटीकबहुत सुन्दर और सटीकMANOJ KAYALhttps://www.blogger.com/profile/13231334683622272666noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-61367834750320397392020-12-08T15:47:07.465+05:302020-12-08T15:47:07.465+05:30मौसम और मानसून का प्रभाव
भूगोल की किताब में
पढ़ा था...मौसम और मानसून का प्रभाव<br />भूगोल की किताब में<br />पढ़ा था मैंने भी<br />पर गमलों में पनपते<br />बोनसाई की तरह जीने की<br />विवशता ने<br />सीमित कर दिया<br />अर्जित ज्ञान। <br /><br />मौसम की बेरुख़ी<br />साहूकार,<br />भूख, मँहगाई,<br />अनवरत, अनगिनत<br />साज़िशों से<br />रात-दिन लड़ते <br />आत्मसम्मान गिरवी रखते<br />अन्नदाताओं की<br />अनगिनत कहानियाँ<br />पढ़-सुनकर निकली<br />आह!! <br /><br /> श्वेता जी आपके द्वारा रचित सुंदर,सरल और सहज कविता निश्चय ही हृदय को स्पर्श करती है। सधु चन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/03218271250912628033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-61220760934806157552020-12-08T14:57:06.803+05:302020-12-08T14:57:06.803+05:30सशक्त क्रांतिकारी चिंगारी
का प्रतिनिधित्व करते
अन्...सशक्त क्रांतिकारी चिंगारी<br />का प्रतिनिधित्व करते<br />अन्नदाताओं ने<br />बरसों से ज़मा की गयी<br />अत्याचार,रोष और असंतोष<br />से पीड़ित,शोषित ,<br />माटी में दफ़न इतिहास,<br />पुरखों के सम्मान से रिसते घावों<br />को पोंछकर,<br />कराहती आत्माओं का<br />प्रतिशोध लेने की ठानी है,<br />सारी नीतियों, रणनीतियों<br />का चक्रव्यूह ध्वस्तकर<br />ऋणमुक्त करने का<br />संकल्प लिया है<br />बेहद हृदयस्पर्शी रचना श्वेता जी।Anuradha chauhanhttps://www.blogger.com/profile/14209932935438089017noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-6923655883507243642020-12-08T13:42:39.726+05:302020-12-08T13:42:39.726+05:30अपने-अपने
कर्मपथ के जुझारू पथिक
हैं हम दोनों ... ...अपने-अपने<br />कर्मपथ के जुझारू पथिक<br />हैं हम दोनों ... <br />देश का पेट भरने वाले<br /> किसानों की<br />बिरादरी से नहीं हूँ मैं<br />पर महसूस करती हूँ<br />मुझमें और उनमें है तो<br />अन्योन्याश्रित संबंध।<br /><br />बेहतरीन रचना...🌹🙏🌹Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-90444700740060507142020-12-08T11:22:19.303+05:302020-12-08T11:22:19.303+05:30सुन्दर सृजनसुन्दर सृजनसुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-21329540822275072212020-12-07T21:44:48.938+05:302020-12-07T21:44:48.938+05:30प्रभावशाली लेखन।प्रभावशाली लेखन।Shantanu Sanyal शांतनु सान्यालhttps://www.blogger.com/profile/06457373513221191796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-47253585450186331732020-12-07T20:14:54.325+05:302020-12-07T20:14:54.325+05:30गाँवों में आधार होने के कारण किसानों की स्थिति को ...गाँवों में आधार होने के कारण किसानों की स्थिति को बेहद करीब से देखी हूँ... धंसे आँखों पीठ से चिपके पेट को देखकर रोंगटे खड़े हो जाते थे.. मेरे दादा के पास जब उनके घरों से जेवर आते थे तो मैं फफक पड़ती थी... सदियों बीत गए .. तब से आज तक में कुछ नहीं बदलाव हुआ... <br />ना जाने कब बदलेगी उनकी स्थितिविभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-58998446601075468352020-12-07T19:17:44.696+05:302020-12-07T19:17:44.696+05:30सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्च...सादर नमस्कार , <br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (8-12-20) को <a href="https://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow">"संयुक्त परिवार" (चर्चा अंक- 3909)</a> पर भी होगी।<br /> आप भी सादर आमंत्रित है।<br /> -- <br />कामिनी सिन्हा <br />Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-25333163834425657722020-12-07T10:25:05.169+05:302020-12-07T10:25:05.169+05:30आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में&q...<i><b> आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 07 दिसंबर 2020 को साझा की गई है....<a href="https://mannkepaankhi.blogspot.com/" rel="nofollow"> "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर </a>आप भी आइएगा....धन्यवाद! </b></i>दिव्या अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/17744482806190795071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-75440656811424543542020-12-07T10:03:32.124+05:302020-12-07T10:03:32.124+05:30मैंने पढ़ा और समझा है किसानी
और
मैं पढ़ी और समझी है ...मैंने पढ़ा और समझा है किसानी<br />और<br />मैं पढ़ी और समझी है किसानी<br />सही कौन सी पंक्ति हैyashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-66322984313907834842020-12-06T23:27:52.317+05:302020-12-06T23:27:52.317+05:30धान ,गेहूँ,दलहन,तिलहन
कपास के फसलों के लिए
बीज की ...धान ,गेहूँ,दलहन,तिलहन<br />कपास के फसलों के लिए<br />बीज की गुणवत्ता<br />उचित तापमान,पानी की माप<br />मिट्टी के प्रकार,खाद की मात्रा<br />निराई,गुड़ाई या कटाई का<br />सही समय<br />मौसम और मानसून का प्रभाव<br />भूगोल की किताब में<br />पढ़ा था मैंने भी<br />पर गमलों में पनपते<br />बोनसाई की तरह जीने की<br />विवशता ने<br />सीमित कर दिया<br />अर्जित ज्ञान। <br />.... बहुत ही सारगर्भित पंक्तियाँ..किसानों के दर्द को उजागर करती कृति..।जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1000465220613990960.post-41264771268167049682020-12-06T22:21:17.695+05:302020-12-06T22:21:17.695+05:30आदरणीया मैम,
सादर प्रणाम। बहुत ही हृदय को छूने वाल...आदरणीया मैम,<br />सादर प्रणाम। बहुत ही हृदय को छूने वाली और विचलित करने वाली रचना हमारे अन्नदाताओं को समर्पित।<br />कितनी दुख को बात है कि हमारे किसान जिन्हें अन्नदाता कहा जाता है, उन्हें अपने खाने के लिए अन्न की कमी पड़ जाती है। <br />आपकी रचना मन को व्यथित करती है और हमें हमारे किसानों की पीड़ा के प्रति सजग होने का संदेश भी देती है। आपका यह कहना कि हमारे और किसानों के बीच एक अन्योन्याश्रित सम्बन्ध है एक चेतावनी की तरह लगती है मानों हमें सतर्क कर रही हो कि अपने अन्नदाता के जीवन के साथ खिलवाड़ न करें और एक अटल सत्य सदा के लिए मन में बैठा देती है।<br />आपने जब भी सामाजिक कविताएँ लिखी हैं, सदा सशक्त और संवेदनशील रचनाएँ लिखी हैं। माँ को पढ़ कर सुनाया, वे कह रहीं थी कि समाज की कुरीतियों की पीड़ा जिस प्रकार आपकी रचनाओं में नज़र आती है और आत्मा को झकझोरती है, वैसा बहुत कम रचनाओं में नज़र आता है। आपकी यह कविता पढ़ कर प्रेमचंद जी की दो बीघा ज़मीन याद आ गयी। सुंदर रचना के लिए हृदय से आभार और पुनः प्रणाम।Ananta Sinhahttps://www.blogger.com/profile/14940662000624872958noreply@blogger.com