मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 1 April 2017
थका हुआ दर्द
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दर्द थका रोकर अब बचा कोई एहसास नही पहचाने चेहरे बहुत जिसकी चाहत वो पास नही पलभर के सुकूं को उम्रभर का मुसाफिर बना जिंदगी में कहीं खुश...
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तेरी सुगंध
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जबसे आये हो ज़िदगी के चमन में, हृदय तेरी सुगंध से सुवासित है। नहीं मुरझाता कभी भी गुलाब प्रेम का, खिली मुस्कान लब पे आच्छादित है। कोई ...
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Friday, 31 March 2017
स्मृतियों का ताजमहल
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समेटकर नयी पुरानी नन्ही नन्हीं ख्वाहिशें, कोमल अनछुए भाव पाक मासूम एहसास, कपट के चुभते काँटे विश्वास के चंद चिथड़़े, अवहेलना के अगू...
नीरवता से जीवन की ओर
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अभी अंधेरे की चादर पसरी है बाहर, अपने कच्चे पक्के छोटे बडे घरौंदों मे खुद को समेटे गरम लिहाफों को लपेटे सुख की नगरी मे विचरते जहान ...
Thursday, 30 March 2017
मेरे दिल को छू गये
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मेरे दिल को छू गये हो तुम, एहसास मेरा चमन हो गया। खुशबू बन गये तुम जेहन के, गुलाब सा तन बदन हो गया। पंखुड़ियाँ बिखरी हवाओं में, चाहत...
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रिश्ता अन्जाना हो गया
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तुमसे बिछड़े तो इक ज़माना हो गया, जख्म दिल का कुछ पुराना हो गया। टीसती है रह रहकर यादें बेमुरव्वत, तन्हाई का खंज़र कातिलाना हो गया। ...
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Tuesday, 28 March 2017
ढलती शाम
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बस थोड़ी देर और ये नज़ारा रहेगा कुछ पल और धूप का किनारा रहेगा हो जाएँगे आकाश के कोर सुनहरे लाल परिंदों की खामोशी शाम का इशारा रहेगा ढ...
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चूड़ियाँ
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छुम छुम छन छन करती कानों में मधुर रस घोलती बहुत प्यारी लगी थी मुझको पहली बार देखी जब मैंने माँ की हाथों में लाल चूूड़ियाँ टुकुर टुकुर...
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