मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Monday, 30 November 2020
चाँद
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ठिठुरती रात, झरती ओस की चुनरी लपेटे खटखटा रही है बंद द्वार का साँकल। साँझ से ही छत की अलगनी से टँगा झाँक रहा है शीशे के झरोखे से उदास चाँद त...
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Saturday, 28 November 2020
सीख क्यों न पाया?
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सृष्टि के प्रारंभ से ही ब्रह्मांड के कणों में घुली हुई नश्वर-अनश्वर कणों की संरचना के अनसुलझे गूढ़ रहस्यों की पहेलियों की अनदेखी कर ज्ञा...
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Thursday, 26 November 2020
डर
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मुझे डर नहीं लगता त्रासदी के घावों से कराहती,ढुलमुलाती चुपचाप निगलती समय की खौफ़नाक भूख से। मुझे डर नहीं लगता कफ़न लेकर चल रही हवाओं के दस्तक ...
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Thursday, 5 November 2020
धर्म
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(१) कर्तव्य, सद् आचरण,अहिंसा मानवता,दया,क्षमा सत्य, न्याय जैसे ' धारण करने योग्य' 'धर्म' का शाब्दिक अर्थ हिंदू या मुसलमान क...
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Saturday, 31 October 2020
सोचती हूँ...
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२७ जून २०१८ को आकाशवाणी जमशेदपुर के कार्यक्रम सुवर्ण रेखा में पहली बार एकल काव्य पाठ प्रसारित की गयी थी। जिसकी रिकार्डिंग २२ जून २०१८ क...
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Saturday, 18 July 2020
तुम्हारे जन्मदिन पर
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मैं नहीं सुनाना चाहती तुम्हें दादी-नानी ,पुरखिन या समकालीन स्त्रियों की कुंठाओं की कहानियां, गर्भ में मार डाली गयी भ्रूणों की ...
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Wednesday, 15 July 2020
नैतिकता
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उज्जवल चरित्र उदाहरणार्थ जिन्हें लगाया गया था सजावटी पुतलों की भाँति पारदर्शी दीवारों के भीतर लोगों के संपर्क से दूर प्रदर...
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Sunday, 12 July 2020
शांति
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विश्व की प्राचीन एवं आधुनिक सभ्यताओं, पुरातन एवं नवीन धर्मग्रंथों में, पिछले हज़ारों वर्षों के इतिहास की किताबों में, पिर...
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