मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Thursday, 16 September 2021
तुमसे प्रेम करते हुए-(१)
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आज भी याद है मुझे तुम्हारे एहसास की वो पहली छुअन दिल की घबरायी धड़कन सरककर पेट में तितलियां बनकर उड़ने लगी थी, देह की थरथराती धमनियों में वेग...
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Sunday, 5 September 2021
बदले दुनिया(शिक्षक)
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शिक्षक मेरे लिए मात्र एक वंदनीय शब्द नहीं है, न ही मेरे पूजनीय शिक्षकों की मधुर स्मृतियाँ भर ही। मैंने स्वयं शिक्षक के दायित्व को जीया है। म...
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Monday, 30 August 2021
स्व पर विश्वास
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अवतारों की प्रतीक्षा में स्व पर विश्वास न कम हो तेरी कर्मठता की ज्योति सूर्यांश,तारों के सम हो। सतीत्व की रक्षा के लिए चमत्कारों की कथा रहन...
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Friday, 27 August 2021
विचार
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विचार मन के कोरे कैनवास पर मात्र भावनाओं की बचकानी या परिपक्व कल्पनाओं के खोखले कंकाल ही नहीं गढ़ते विचार बनाते है जीवन के सपाट पृष्ठों पर स...
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Wednesday, 18 August 2021
बौद्धिक आचरण
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बर्बरता के शिकार रक्तरंजित,क्षत-विक्षत देह, गिरते-पडते,भागते-कूदते दहशत के मारे आत्महत्या करने को आमादा लोगों की तस्वीरों के भीतर की सच की...
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Sunday, 15 August 2021
प्रणाम...(शहीदों को )
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करती हूँ प्रणाम उनको,शीश नत सम्मान में है, प्राण दे,इतिहास के पृष्ठों में अंकित हो गये जिनकी लहू की बूँद से माँ धरा पावन हुई माटी बिछौना ओढ़ ...
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Wednesday, 28 July 2021
कठपुतलियाँ
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मुंडेर पर दाना चुगने आती चिडियों के टूटे पंख इकट्ठा करती, नभ में उड़ते देख उनके कलरव पर आनंदित होती मैं चिड़िया हो जाना चाहती हूँ, मुझे चिड़िया...
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Sunday, 18 July 2021
नन्ही बुलबुल
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कच्ची उमर के पकते सपने महक जाफ़रानी घोल रही है। घर-आँगन की नन्ही बुलबुल हौले-हौले पर खोल रही है। मुस्कान,हँसी,चुहलबाज़ी मासूम खेल की अनगिनी ब...
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