Pages

Sunday, 12 March 2017

होली के रंग

हृदय भरा उल्लास 
हथेलियों में मल रंग लिये,
सुगंधहीन पलाश बिखरी 
तन में मादक गंध लिये।

जला के ईष्या,द्वेष की होलिका
राख मले मतवारे,
रंग-गुलाल भरी पिचकारी
निकले अपने संग लिये।

फगुआ छेड़े पवन बसंती 
नाचे झूमे सखियाँ सारी,
लाल,गुलाबी,हरे,बैंगनी 
मुख इंद्रधनुष सतरंग लिये।

रंगों ने धो दिये कलुषित मन 
न किसी से कोई वैर रहे,
 एक राग में थिरके तन-मन 
झूमे प्रेम उमंग लिये।

गुझिया,मालपुआ रसीली 
पकवानों की दावत है,
बाल वृंद भी इत-उत डोले 
किलकारी हुड़दंग लिये।

अवनि से अंबर तक बरसे 
रंग-अबीर,गुलाल-पिचकारी,
मन मकरंद बौराये रह-रह  
  रंगों का गुलकंद लिये...।

                                                    
    ---श्वेता सिन्हा



11 comments:

  1. अवनि से अंबर तक बरसे रंग अबीर गुलाल पिचकारी
    मन मकरंद बौराये रह रह तन सजे रंग गुलकंद लिये

    वाह।।।।

    होली की हर्षित बेला पर, खुशियां मिले अपार।
    यश,कीर्ति, सम्मान मिले, और बढे सत्कार।।
    शुभ रहे हर दिन हर पल, शुभ रहे विचार।
    उत्साह बढे चित चेतन में, निर्मल रहे आचार।।
    सफलतायें नित नयी मिले, बधाई बारम्बार।
    मंगलमय हो काज आपके, सुखी रहे परिवार।।

    आप और आपके परिवार को "होली की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं".

    'P K Sinha & Family'💦🌈

    ReplyDelete
  2. आभार आपका खूब सारा PKji
    बहुत सुंदर प्रतिक्रिया आपकी और आपके उत्साह वर्धक शब्दों के लिए शुक्रिया जी।
    आपको और आपके समस्त परिवार को भी मेरे और मेरे परिवार की तरफ से रंग भरी शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
  3. फगुआ छेड़े पवन बसंती
    नाचे झूमे सखियाँ सारी,
    लाल,गुलाबी,हरे,बैंगनी
    मुख इंद्रधनुष सतरंग लिये।
    बहुत ख़ूब !! होली के रंगों से सजा सजीव सा शब्द चित्र ! हार्दिक शुभकामनाएँ ।

    ReplyDelete
  4. अवनि से अंबर तक बरसे
    रंग-अबीर,गुलाल-पिचकारी,
    मन मकरंद बौराये रह-रह
    रंगों का गुलकंद लिये...।
    फागुन के विभिन्न आयामों और रंगों से सजी खूबसूरत अभिव्यक्ति.. आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 🖍️🖍️💐💐

    ReplyDelete
  5. अहा! रंग ही रंग होली के, बोली के, प्रकृति के शब्दों के काव्य के सामायिक सरस सुंदर सृजन प्रिय श्वेता।
    होली की हार्दिक शुभकामनाएं 🌷

    ReplyDelete
  6. अवनि से अंबर तक बरसे
    रंग-अबीर,गुलाल-पिचकारी,
    मन मकरंद बौराये रह-रह
    रंगों का गुलकंद लिये...।
    वाह!!!!
    क्या रंग जमाया है मनमस्तिष्क रंगीन हो गया...
    बहुत ही लाजवाब 👌👌
    रंगोत्सव की अनंत शुभकामनाएं आपको ।

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर. होली के भाव सी भावपूर्ण रचना

    ReplyDelete
  8. अवनि से अंबर तक बरसे
    रंग-अबीर,गुलाल-पिचकारी,
    मन मकरंद बौराये रह-रह
    रंगों का गुलकंद लिये...।////
    होली को समर्पित बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय श्वेता।होली के सौहार्दपूर्ण माहौल को दर्शाते रचना के बधाई।होली के रंग तुम्हारे जीवन में सदैव रंग और गंध बिखेरते रहे यही कामना है।होली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ♥️♥️

    ReplyDelete
  9. उम्दा अभिव्यक्ति , होली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई । सादर ।

    ReplyDelete
  10. जला के ईष्या,द्वेष की होलिका
    राख मले मतवारे,
    रंग-गुलाल भरी पिचकारी
    निकले अपने संग लिये।

    काश !ऐसा ही होता....कवि की कल्पना में तो हो ही सकता है,सुंदर सृजन श्वेता जी,
    होली की हार्दिक शुभकामनायें आपको

    ReplyDelete
  11. अवनि से अंबर तक बरसे
    रंग-अबीर,गुलाल-पिचकारी,
    मन मकरंद बौराये रह-रह
    रंगों का गुलकंद लिये...।
    वाह होली के रंगों से सराबोर सुन्दर कविता👌👌

    ReplyDelete

आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।