अन्तर्मन के आसमान में
रंग बिरंगे पंख लगाकर
उड़ते फिरते सोच के पाखी
अनवरत अविराम निरंतर
मन में मन से बातें करते
मन के सूनेपन को भरते
शब्दों से परे सोच के पाखी
कभी नील गगन में उड़ जाते
सागर की लहरों में बलखाते
छूकर सूरज की किरणों को
बादल में रोज नहाकर कर आते
बारिश में भींगते सोच के पाती
चंदा के आँगन में उतरकर
सितारों की ओढ़नी डालकर
जुगनू को बनाकर दीपक
परियों के देश का रस्ता पूछे
ख्वाब में खोये सोच के पाखी
नीम से कड़वी नश्तर सी चुभती
मीठी तीखी शमशीर सी पड़ती
कभी टूटे टुकडों से विकल होते
खुद ही समेट कर सजल होते
जीना सिखाये सोच के पाखी
जाने अनजाने चेहरों को गुनके
जाल रेशमी बातों का बुनके
तप्त हृदय के सूने तट पर मौन
सतरंगी तितली बन अधरों को छू
कुछ बूँदे रस अमृत की दे जाते
खुशबू से भर जाते सोच के पाखी
#श्वेता🍁
रंग बिरंगे पंख लगाकर
उड़ते फिरते सोच के पाखी
अनवरत अविराम निरंतर
मन में मन से बातें करते
मन के सूनेपन को भरते
शब्दों से परे सोच के पाखी
कभी नील गगन में उड़ जाते
सागर की लहरों में बलखाते
छूकर सूरज की किरणों को
बादल में रोज नहाकर कर आते
बारिश में भींगते सोच के पाती
चंदा के आँगन में उतरकर
सितारों की ओढ़नी डालकर
जुगनू को बनाकर दीपक
परियों के देश का रस्ता पूछे
ख्वाब में खोये सोच के पाखी
नीम से कड़वी नश्तर सी चुभती
मीठी तीखी शमशीर सी पड़ती
कभी टूटे टुकडों से विकल होते
खुद ही समेट कर सजल होते
जीना सिखाये सोच के पाखी
जाने अनजाने चेहरों को गुनके
जाल रेशमी बातों का बुनके
तप्त हृदय के सूने तट पर मौन
सतरंगी तितली बन अधरों को छू
कुछ बूँदे रस अमृत की दे जाते
खुशबू से भर जाते सोच के पाखी
#श्वेता🍁
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसादर
आभार आपका दी बहुत सारा😊😊
Deleteजाने अनजाने चेहरों को गुनके
ReplyDeleteजाल रेशमी बातों का बुनके
तप्त हृदय के सूने तट पर मौन
सतरंगी तितली बन अधरों को छू
कुछ बूँदे रस अमृत की दे जाते
खुशबू से भर जाते सोच के पाखी
कुछ बूँदे रस अमृत की दे जाते खुशबू से भर जाते सोच के पाखी....👌👌
बहुत बहुत शुक्रिया आभार आपका P.K ji
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