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Wednesday, 16 August 2017

सोये ख्वाबों को


सोये ख्वाबों को जगाकर चल दिए
आग मोहब्बत की जलाकर चल दिए

खुशबू से भर गयी गलियाँ दिल की
एक खत सिरहाने दबाकर चल दिये

रात भर चाँद करता रहा पहरेदारी
चुपके से आके नींद चुराकर चल दिये

चिकनी दीवारों पे कोई रंग न चढ़ा
वो अपनी तस्वीर लगाकर चल दिये

उन निगाहों की आवारगी क्या कहे
दिल धड़का के चैन चुराकर चल दिये

बनके मेहमां ठहरे पल दो पल ही
उम्रभर की याद थमाकर  चल दिये

   #श्वेता🍁


13 comments:

  1. वाह!!!
    उन निगाहों की आवारगी क्या कहें
    दिल धड़का के चैन चुराकर चल दिये
    बहुत सुन्दर गजल....

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    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका सुधा जी।

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  2. बेहद उम्दा , दिल छू गयी आपकी रचना .

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    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका मीना जी।

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  3. वाह ! बहुत ख़ूब श्वेता जी सुन्दर पंक्तियाँ आभार "एकलव्य"

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    1. बहुत आभार शुक्रिया आपका ध्रुव जी।

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  4. हर शेर उम्दा
    बहुत खूबसूरत रचना

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  5. बनके मेहमां ठहरे पल दो पल ही
    उम्रभर की याद थमाकर चल दिये
    बहुत सुंदर अभव्यक्ति,स्वेता।

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    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका ज्योति जी।

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  6. सरल एवं सूंदर अभिव्यक्ति

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    1. जी.बहुत बहुत आभार आपका।

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  7. हमेशा की तरह सुंदर , सुकोमल भावनाओं से सजी रचना ------

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए।

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।