आग मोहब्बत की जलाकर चल दिए
खुशबू से भर गयी गलियाँ दिल की
एक खत सिरहाने दबाकर चल दिये
रात भर चाँद करता रहा पहरेदारी
चुपके से आके नींद चुराकर चल दिये
चिकनी दीवारों पे कोई रंग न चढ़ा
वो अपनी तस्वीर लगाकर चल दिये
उन निगाहों की आवारगी क्या कहे
दिल धड़का के चैन चुराकर चल दिये
बनके मेहमां ठहरे पल दो पल ही
उम्रभर की याद थमाकर चल दिये
#श्वेता🍁
वाह!!!
ReplyDeleteउन निगाहों की आवारगी क्या कहें
दिल धड़का के चैन चुराकर चल दिये
बहुत सुन्दर गजल....
बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका सुधा जी।
Deleteबेहद उम्दा , दिल छू गयी आपकी रचना .
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका मीना जी।
Deleteवाह ! बहुत ख़ूब श्वेता जी सुन्दर पंक्तियाँ आभार "एकलव्य"
ReplyDeleteबहुत आभार शुक्रिया आपका ध्रुव जी।
Deleteहर शेर उम्दा
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना
बनके मेहमां ठहरे पल दो पल ही
ReplyDeleteउम्रभर की याद थमाकर चल दिये
बहुत सुंदर अभव्यक्ति,स्वेता।
बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका ज्योति जी।
Deleteसरल एवं सूंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteजी.बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteहमेशा की तरह सुंदर , सुकोमल भावनाओं से सजी रचना ------
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए।
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