रात की बोझिल उदासी को
किरणों की मुस्कान से खोलता
शीत का दुशाला ओढ़े
क्षितिज के झरोखे से झाँकता
बादलों के पंख पर उड़कर
हौले-हौले पर्वत शिखाओं को
चूमकर पाँव फैला रहा है
हवाओं में जाफरानी खुशबू घोलकर
पेड़ों,फूलों पर तितली सा मँडरा रहा है
पोखर, नदी,झील के आँचल में
चिड़ियों सा चहचहा रहा है
मंजुल प्रकाश भर भर कर
गाँव, शहर,बस्तियों में
पंखुड़ियों सा बिखर जा रहा है
वसुधा के प्रांगण में
करने को नवीन परिवर्त्तन
जन-जन की आँखों में
मख़मली उम्मीदों के
बंदनवार सजाकर
आत्ममुग्ध स्वच्छ शुचि उद्गम् ले
नववर्ष मनभावन
आशाओं की किरणों का
हाथ थामकर स्मित मुस्कुराता
चला आ रहा है।
#श्वेता🍁
वाह, बहुत खूब श्वेता जी. आपको नव वर्ष की अग्रिम बधाई
ReplyDeleteखूबसूरत विदाई तोहफा जाते हुए साल को आपकी कृलम द्वारा... बहुत खूबसूरत लिखा..... शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteनव वर्ष की असीम शुभकामनाओं सहित बधाई आदरणीय श्वेता जी
ReplyDeleteखुबसूरत रचना ! शुभकामनाएँ नव -वर्ष की :)
ReplyDeleteशुभ संध्या बहना....
ReplyDeleteबढ़िया लिखे...
शुभकामनाएँ..
सादर.......
बहुत सुन्दर .., नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ श्वेता जी .
ReplyDeleteवाह ! क्या बात है ! खूबसूरत प्रस्तुति ! लाजवाब !! बहुत खूब आदरणीया ।
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।
नव वर्ष के स्वागत में मंत्रमुग्ध करती रचना.
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनायें.
खूबसूरत प्रस्तुति नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ श्वेता जी:(
ReplyDeleteवाह!!खूबसूरत रचना। नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteHappy New year mam
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ख़ूबसूरत शब्दावली में नव वर्ष का स्वागत करती बेहतरीन रचना।
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो।
वाह
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत सृजन
शुभकामनाएँ
सादर
आशा का संचार करती मनभावन नव वर्ष का भाव लिए ...
ReplyDeleteसुंदर रचना
बहुत खूबसूरत रचना
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