आज फिर किरिचियाँ ज़िंदगी की
तन्हाई में भर गयीं।
कुछ अधूरी ख़्वाहिशों की छुअन से
चाहतें सिहर गयीं।।
लाख़ कोशिशों के बावजूद
तुम ख़्यालों से नहीं जाते हो
थक गयी हूँ मैं
तुम्हें झटककर ज़ेहन से.....
बहुत ज़िद्दी हैं ख़्याल तुम्हारे
बार-बार आकर बैठ जाते हैं
मन की उसी डाल पर
जहाँ से तुम ही तुम
नज़र आते हो।
जितना भी कह लूँ
तुम्हारे होने न होने से
कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है
पर जाने क्यों..... ?
तुम्हारी एक नज़र को
दिल बहुत तड़पता है।
तुम्हारी बातें टाँक रखी हैं
ज़ेहन की पगडंडियों में
अनायास ही तन्हाई में
मन उन्हीं राहों पर चलता है।
#श्वेता🍁
उनकी यादें ऐसी हाई होती हैं ...
ReplyDeleteझटकने को मन चाहता है ... निकालता भी नहीं
जी बहुत आभार आपका नासवा जी। तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteरूमानी काव्य की विशेषता यही है कि उसमें अंतर्मन के दमित भाव बख़ूबी उभर आते हैं। कल्पनालोक में मन एहसासों को जीकर महसूसता है और बुनता है रेशमी कालीन जिस पर चलते हैं,उड़ान भरते हैं हसरतों के पंछी।सृजन का ख़ूबसूरत रंग बिखेरती बेहतरीन रचना.
ReplyDeleteबधाई एवं शुभकामनाऐं।
बहुत बहुत आभार आपका रवींद्र जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteकुछ यादे बनी रहे..अच्छा है
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना।
बहुत बहुत आभार आपका पम्मी जी,तहेदिल से शुक्रिया।
Deleteबहुत ज़िद्दी हैं ख़्याल तुम्हारे
ReplyDeleteबार-बार आकर बैठ जाते हैं
बहुत उम्दा
बहुत बहुत आभार आपका लोकेश जी।तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteयादों की पगडंडियों से तुम्हारी याद जाती नहीं...ये वो किरचियां हे जो दरों दीवारों पर बिखरी नजर आती है।
ReplyDeleteखूबसूरत ख्यालों से लबरेज ,मन के भावों को छू जाती .. अपनी चाहतों की परिभाषा बताती ... बहुत ही प्यारी रचना...!
बहुत बहुत आभार आपका अनु जी।तहेदिल से शुक्रिया बहुत सारा।बहुत प्यारी प्रतिक्रिया आपकी।
Delete"तुम्हारी बातें टाँक रखी हैं
ReplyDeleteज़ेहन की पगडंडियों में
अनायास ही तन्हाई में
मन उन्हीं राहों पर चलता है।'
बहुत खूब .......👌
बहुत बहुत आभार मीना जी ,तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteकुछ अधूरी चाहतों की छुवन से
ReplyDeleteचाहतें सिहर गयी....
बहुत ही सुंदर
वाह!!!
बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका सर।
Deleteतुम्हारी एक नज़र को
ReplyDeleteदिल बहुत तड़पता है।
तुम्हारी बातें टाँक रखी हैं
ज़ेहन की पगडंडियों में
अनायास ही तन्हाई में
मन उन्हीं राहों पर चलता है।
दिल को छुती बहुत ही खुबसुरत रचना, स्वेता।
बहुत बहुत आभार आपका ज्योति जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteबहुत सुंदर रचना श्वेता जी
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका मीना जी।
Deleteतुम्हारी एक नज़र को
ReplyDeleteदिल बहुत तड़पता है।
तुम्हारी बातें टाँक रखी हैं
...........दिल को छुती रचना !!
बहुत बहुत आभार आपका संजय जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय सर,मेरी रचना को मान देने के लिए।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभारी है आदरणीय राकेश जी आपके इस मान के लिए बहुत शुक्रिया।
ReplyDeleteमन को छू गए ये अहसास ।
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