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Saturday, 2 June 2018

कौन सा रूप तुम्हारा?


लिलार से टपकती
पसीने की बूँद
अस्त-व्यस्त बँधे केश का जूड़ा
हल्दी-तेल की छींटे से रंगा
हरा बाँधनी कुरता
एक हाथ में कलछी
और दूसरे में पूरियों की थाल लिये
थकी सुस्त
जब तु्म्हारे सम्मुख आयी 
लहकती दुपहरी में
तुम्हारी भूरी आँखों से उठती
भीनी-भीनी चंदन की शीतलता 
पलकों के कोरों से छलकती
प्रेम की तरलता ने
सूरज से बरसती आग को
सावन के फुहार में बदल दिया
तुम्हारे अधरों से झरते
शब्दों को चुनती बटोरकर रखती जाती
खिड़की के पास लगे
तकिये के सिरहाने
एकांत के पलों के लिए
जब स्मृतियों के आईने से निकाल कर
तुम्हारी तस्वीर देखकर
नख से शिख तक निहारुँ खुद को
तुम्हारी बातों का करके श्रृंगार इतराऊँ
बस पूछूँ तुमसे एक ही सवाल
प्रियतम कभी नाक पर गुस्सा
कभी आँखों में प्रेम रस धार
बहुरुपिये कौन सा रुप तुम्हारा है ?

   #श्वेता सिन्हा



17 comments:

  1. वाह दीदी जी बेहद खूबसूरत रचना सीधे हृदय में उतर गयी मन में एक सुंदर तस्वीर खीच गयी
    जितने सुंदर भाव उतने ही सुंदर अल्फाज़
    बहरूपिये आखिर कौन सा रूप तुम्हारा है?
    वाह 👌
    सादर नमन दीदी जी शुभ संध्या जय श्री राधे कृष्णा 🙇

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  2. बेहतरीन
    प्रेम की अद्भुत अभिव्यक्ति

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  3. वाह वाह वाह ....स्व को पिय बातों से कर शृंगारित सखी लगी रति सी सुहानी अलंकारित काव्य रच दिया पाखी अद्भुत काव्य तुम्हारा !

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  4. वाह !! प्यार का अद्भुत रूप -- जिसके लिए पूरियों की थाली भरी, श्रृंगार क्र खुद को सजाया , जिसके प्रेम से मन अभिभूत हुआ उसी को बहरूपिये की संज्ञा दे दी | बहुत खूब प्रिय श्वेता !!!!!!!! प्रेम की कहानी का ये रूप भी मन को खूब भा गया | हार्दिक बधाई इस सुंदर सृजन के लिए |

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  5. वाआआह...
    बेहतरीन
    सादर

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  6. बड़ा ही मासूम सा सवाल, जिसका उत्तर देना संभव ही नहीं है किसी के लिए....बहुरूपिए का अलग अलग रूप धारण करना भी जायज लगता है कभी कभी.... एक ही रूप से तो ज़िंदगी नीरस हो जाती ! कविता की सादगी मन को छू गई।

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  7. वाव्व...प्यार की बहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति,श्वेता।

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  8. बहुत सुंदर मनभावन शब्द और भाव..

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  9. वाह!!श्वेता अद्भुत ...!!!बहुत ही खूबसूरत भावों से सजी रचना .।

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  10. बेहतरीन अभिव्यक्ति,श्वेता जी ,हार्दिक बधाई इस सुंदर सृजन के लिए |

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  11. बहुत खूबसूरत श्वेता रिश्तों मे दैनिक उतार चढाव मे बहरुपिया पन यत्र तत्र दिखता है और सच कहूं तो स्वयं का अवलोकन करें तो लगता है हम खुद भी अलग अलग समय मे अलग मनो स्थिति के सम रुप बहरुपियों सा व्यवहार करते हैं।
    बहुत सुंदर कविता मन का राग और अनुराग लिये।

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  12. प्रेम की खूबसूरत अभिव्यक्ति ... बधाई

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  13. वाह
    प्रेम का शाश्वत स्वरूप
    बेहद खूबसूरत रचना
    बधाई श्वेता जी

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  14. तुम्हारी भूरी आँखों से उठती
    भीनी-भीनी चंदन की शीतलता
    पलकों के कोरों से छलकती
    प्रेम की तरलता ने
    वाह!!!
    तुम्हारी बातों का करके श्रृंगार इतराऊँ
    बहुत लाजवाब.......

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।