माँ का ध्यान हृदय सदा
शान्ति सुधा बरसाती
मलयानिल श्वासों में घुल
हिया सुरभित कर जाती
मौन मगन दैदीप्त पुंज
मन भाव विह्वल खो जाता
प्लावित भावुक धारा का
अस्तित्व विलय हो जाता
आतपत्र आशीष वलय
रक्षित जीवन शूल,प्रलय
वरद-हस्त आशंकाओं से
शुद्ध आत्मा मुक्त निलय
आँचल छाँह वात्सल्यमयी
भय-दुःख, मद-मोह, मुक्त
अनुभूति,निर्मल निष्काम
शुभ्र पलछिन रसयुक्त
चक्षु दिव्य तुम ज्ञान गूढ़ का
जीवन पथ माँ भूल-भूलैय्या
लहर-लहर में भँवर जाल
भव सागर पार करा दे नैय्या
यश दिगंत न विश्वविजय
माँँ गोद मात्र वात्सल्य अटूट
जग बंधन से करो मुक्त अब
पी अकुलाये जी कालकूट
-श्वेता सिन्हा
चक्षु दिव्य तुम ज्ञान गूढ़ का
ReplyDeleteजीवन पथ माँ भूल-भूलैय्या
लहर-लहर में भँवर जाल
भव सागर पार करा दे नैय्या.... अप्रतिम भाव सुधा माँ के पवित्र चरणों में सादर समर्पित। रूपम देहि,जयम देहि, यशो देहि, द्विषो जहि!शुभ नवरात्र।
अप्रतिम शब्दों से सजी मता रानी की सरस सुंदर स्तुति ।
ReplyDeleteनमन 🙏मां के हर रूप को ।
श्रेष्ठ प्रस्तुति श्वेता ।
माँ शक्ति की वन्दना जगत् कल्याण की कामना का विराट भाव लिये सार्थक शब्द-विन्यास से सजी अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण मां दुर्गा की स्तुति श्वेता जी
ReplyDeleteबहुत ही लाज़वाब,
ReplyDeleteमाँ शक्ति को नमन,इतनी सुंदर पवन स्तुति अपने लिखी हैं हैं कि मन गदगद हो गया और श्रद्धा भाव से भर गया।
एक सच्चे भक्त के हृदय से निकले ये शब्द आस्था का प्रतीक हैं।
इस भक्ति इस अभिव्यक्ति को प्रणाम।
बहुत बहुत बधाई,
नवरात्र मंगलमय हो
बहुत सुंदर
ReplyDeleteजय माता की 🙏
वाह!!श्वेता, मातारानी का खूबसूरत शाब्दिक श्रृंगार किया है आपनें।
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ReplyDeleteदेवी पर्व पर बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत की है, स्वेता जी आपने । जिस माँ के गोद की कामना की है आपने, उस वात्सल्य से अधिक और क्या सुख हो सकता है।
लेकिन मेरा एक प्रश्न है शक्ति की उपासना करने वाले इस पुरुष समाज से कि इनमें से कितनों ने अपनी अर्धांगिनी में देवी शक्ति को ढ़ूंढने का प्रयास किया अथवा उसे हृदय से बराबरी का सम्मान दिया..? जो भद्रजन देवी मंदिरों एवं पूजा पंडालों में जा रहे हैं, वे कन्या भ्रूण हत्या रोकने को लेकर कितने सजग हैं ..?
इन सवालों के जवाब कोन दे?
Deleteजहन से विपरीत बात हो गयी है ये...
मौजूद हालात को देखते हुए आपके प्रश्न का उत्तर मै या वह नहीं दे सकता इसका उत्तर और इसका समाधान हम सब एकमत होकर ढूंढ सकते है। आसान शब्दों में कहे तो बेटियो को सम्मान देना हम सभी का कर्तव्य है दायित्व है।
Deleteमाँ की महिमा का सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteजय माता दी!
यश दिगंत न विश्वविजय
ReplyDeleteमाँँ गोद मात्र वात्सल्य अटूट
जग बंधन से करो मुक्त अब
पी अकुलाये जी कालकूट
सुन्दर भावो से सजी जगदम्बा माँ की कल्याणकारी स्तुति....बेहद शानदार...
जग बंधन से मुक्त करो ...
ReplyDeleteमाँ के चरणों में सुन्दर वंदन ... कल्याणकारी माँ सदा अपमा आशीर्वाद रखे ...
नव रात्रि की शुभकामनायें ...
मेरी हिंदी इतनी अच्छी नही कि ऐसी कविता को मैं समझ सकूं. मुझ से तो सरलीकरण भी सही नहीं हो रहा...
ReplyDeleteलेकिन शायद 2-4 दिन में पूरी समझ सकूं या आपकी मदत लूँ..
मेरी धार्मिक भावनाएं भी थोड़ी अलग हैं इसीलिए भी हो सकता है कि समझ नहीं पा रहा हूँ.
बाकि कुछ कहने को है नहीं....
रोहित जी मैं आपकी मदद कर सकु तो प्रसन्नता होगी।
Deleteवा...व्व...श्वेता, माँ की महिमा का बहुत ही सुंदर शब्दों में बखान किया हैं आपने। बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteयश दिगंत न विश्वविजय
ReplyDeleteमाँँ गोद मात्र वात्सल्य अटूट
जग बंधन से करो मुक्त अब
पी अकुलाये जी कालकूट... वाह श्वेता जी , माँ की महिमा का गान करती सुंदर कविता
शुभकामनाएं। सुन्दर रचना।
ReplyDeleteजगदम्बा माँ की सुन्दर प्रस्तुति
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