Pages

Wednesday, 19 December 2018

चाँद..


तन्हाई की आँच में
टुकड़ों में गल रहा है चाँद,
दामन से आसमाँ के  
देखो! पिघल रहा है चाँद।

छत की मुंडेरों पर 
झुकी हैंं पलकें सितारों की,
फुनगी पर नीम की 
शमा-सा जल रहा है चाँद।

शायद कोई ख़्वाब होगा 
तसव्वुर में रुमानी-सा,
चूम कर पेशानी अब्र की 
करवट बदल रहा है चाँद।

हवा की बाँसुरी पर
थिरकते चमन के फूलों पर,
छिड़क इत्र चाँदनी की
शोख़ मचल रहा है चाँद।

शबनमी बूँद भरी
रेशमी पैरहन में लिपटा,
आसमाँ के बदन पर 
ख़्वाब मल रहा है चाँद।

-श्वेता सिन्हा

44 comments:

  1. Replies
    1. बहुत आभारी हूँ सर...बेहद.शुक्रिया आपकी त्वरित प्रतिक्रिया बहुत अच्छी लगी।

      Delete
  2. Replies
    1. जी बहुत शुक्रिया विश्वमोहन जी...हृदयतल से अति आभार।

      Delete
  3. शबनमी बूँद भरी
    रेशमी पैरहन में लिपटा
    आसमाँ के बदन पे
    ख़्वाब मल रहा है चाँद
    बेहतरीन..
    सादर...

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी सादर आभार....बेहद शुक्रिया आपका।

      Delete
  4. छत की मुंडेरों पे
    झुकी है पलकें सितारों की
    फुनगी पे नीम की
    शम्मा-सा जल रहा है चाँद
    बहुत ही लाजवाब...
    वाह!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. सुधा जी,सादर आभार...बेहद शुक्रिया आपका।

      Delete
  5. So nice, beautiful words and thoughts. We proud to be from KANDRA. Keep on writing........

    ReplyDelete
    Replies
    1. Thanku so much chandra.
      I really proud to be from kandra.Thankx a lot for all ur wishes and support.

      Delete
  6. Replies
    1. बहुत आभारी हूँ रितु जी...बेहद शुक्रिया आपका।

      Delete
  7. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 20.12.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3191 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर आभार सर..आपके सहयोग के लिए हृदय से बहुत शुक्रिया।

      Delete
  8. Waah 👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत आभार नीतू...सस्नेह शुक्रिया।

      Delete
  9. वाहः
    लाजवाब
    बहुत ही खूबसूरत

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार लोकेश जी। बेहद.शुक्रिया आपका।

      Delete
  10. बेहतरीन रचना ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बेहद आभारी हूँ दीपा जी..बहुत बहुत शुक्रिया।

      Delete
  11. वाह ! वाह !! और सिर्फ वाह !!!
    बड़ी खूबसूरत रचना है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभारी हूँ दी...आपकी स्नेहमयी प्रतिक्रिया के लिए...बेहद शुक्रिया।

      Delete
  12. बहुत ही सुन्दर रचना चांद में चार चांद लग गए

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर आभार अभिलाषा जी...बहुत शुक्रिया आपका।

      Delete
  13. कमनीय कामिनी
    घुंघट से मुख खोले
    ज्यों होले होले
    बदरी से बाहर
    आ रहा है चांद।
    बहुत सुंदर श्वेता चांद पर शबाब है या लेखनी में खुमार बस बेमिसाल है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपकी बहुत सुंदर पंक्तियाँ दी..वाहहह👌
      उत्साहभरी प्रतिक्रिया के लिए बेहद आभारी हूँ दी।
      बहुत शुक्रिया आपका।

      Delete
  14. बहुत सुंदर. भाषाई शब्द चयन व लय समेत. बधाई.

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी सर,बहुत दिनों बाद आपकी प्रतिक्रिया पाकर प्रसन्नता हुई।
      आशा है अब आप स्वस्थ्य होंगे।
      सादर आभार सर...बेहद शुक्रिया आपका।

      Delete
  15. चाँद हमारे जीवन में रचा-बसा है। कल्पनालोक में प्रकृति की ख़ूबसूरत छटा और शब्द-व्यंजना हृदयस्पर्शी बन पड़ी है। प्रभावशाली नज़्म। बधाई एवं शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. रवींद्र जी..आपकी विश्लेषणात्मक प्रतिक्रिया सदैव मन आहृलादित कर जाती है।
      सादर आभार...बेहद शुक्रिया आपका।

      Delete
  16. लाजवाब ... बेहद खूबसूरत

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी सादर आभार सुधा दी...ब्लॉग पर आपकी प्रतिक्रिया पाकर बहुत अच्छा लग रहा..। बेहद.शुक्रिया आपका।

      Delete
  17. वाह !!बहुत ख़ूब श्वेता जी 👌

    ReplyDelete
    Replies
    1. बेहद आभारी हूँ अनिता जी...सस्नेह शुक्रिया आपका।

      Delete
  18. लाजबाब!!!!!!!!! स्वेता जी

    ReplyDelete
    Replies
    1. ब्लॉग पर आपका स्वागत है कामिनी जी...बेहद आभारी हूँ..शुक्रिया आपका बहुत सारा।

      Delete
  19. बहुत ही बेहतरीन रचना श्वेता जी

    ReplyDelete
    Replies
    1. बेहद आभारी हूँ अनुराधा जी..सस्नेह शुक्रिया आपका।

      Delete
  20. शबनमी बूँद भरी
    रेशमी पैरहन में लिपटा
    आसमाँ के बदन पे
    ख़्वाब मल रहा है चाँद.... वाह आपने चाँद को और भी ख़ूबसूरत बना दिया श्वेता जी

    ReplyDelete
    Replies
    1. बेहद आभारी हूँ वंदना जी..बहुत बहुत शुक्रिया आपका।

      Delete
  21. गज़ब है हर शेर ...
    चाँद की अनोखी कल्पना से भरा है काव्य जगत पर ये छंद अपनी अलग पहचान रख रहे हैं ... लाजवाब ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी सादर आभार नासवा जी...बहुत-बहुत शुक्रिया आपका...आपके अनुपम आशीष का बहुत आभार।

      Delete
  22. खूबसूरत रचना खूबसूरत लेखन....बेहतरीन प्रवाह

    ReplyDelete
    Replies
    1. बेहद आभारी हूँ संजय जी...बहुत-बहुत शुक्रिया आपका।

      Delete

आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।