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Friday, 12 July 2019

तीसरे.पहर

सुरमई रात के उदास चेहरे पर
कजरारे आसमां की आँखों से
टपकती है लड़ियाँ बूँदों की
झरोखे पे दस्तक देकर
जगाती है रात के तीसरे पहर

मिचमिचाती पीली रोशनी में
थिकरती बरखा घुँघरू-सी
सुनसान राहों से लगे किनारों पे
हलचल मचाती है बहती नहर
बुलाती है रात के तीसरे पहर

पीपल में दुबके होगे परिंदें
कैसे रहते होगे तिनकों के घर में
खामोश दरख्तों के बाहों में सिकुड़े
अलसाये है या डरे,पूछने खबर
उकसाती है रात के तीसरे पहर

झोंका पवन का ले आया नमी
उलझ रहा जुल्फों में सताये बैरी
छूकर चेहरा सिहराये बदन
पूछता हाल दिल का रह-रह के
सिलवट,करवट,बेचैन,बसर,
कुहकाती है रात के तीसरे पहर

#श्वेता सिन्हा

13 comments:

  1. बिरहन के लिए रात क्या और दिन क्या,
    बारिश की फुहार क्या और पवन का ठंडा झोंका क्या,
    फूलों की कोमल सेज क्या और काँटों की चुभती सेज क्या,
    हर लम्हा, हर पल, ऐसे बीतता है जैसे कि सदियाँ !

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  2. बहुत उम्दा
    दिल की गहराइयों से लिकली अनुभूति

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  3. विरह का हृदय स्पर्शी सृजन।
    हवाएँ पुछती है सहला कर कानों में बातें हजार
    जाते-जाते वह भी रो पड़ती है जार-जार।
    अभिनव अभिव्यक्ति।

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  4. पीपल में दुबके होगे परिंदें
    कैसे रहते होगे तिनकों के घर में
    खामोश दरख्तों के बाहों में सिकुड़े
    अलसाये है या डरे,पूछने खबर
    उकसाती है रात के तीसरे पहर
    बहुत सुंदर भाव।

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  5. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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  6. रात के तीसरे पहर की सुगबुगाहट को क्या खूब कहा है आपने

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  7. सुन्दर रचना

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  8. अहा 👌👌 अक्षरशः मन में उतरती रचना ....

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  9. रात के तीसरे पहर..।
    पीपल में दुबके होगे परिंदें
    कैसे रहते होगे तिनकों के घर में
    खामोश दरख्तों के बाहों में सिकुड़े
    अलसाये है या डरे,पूछने खबर
    उकसाती है रात के तीसरे पहर
    लाजवाब भाव...
    वाह!!!

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  10. झोंका पवन का ले आया नमी
    उलझ रहा जुल्फों में सताये बैरी
    छूकर चेहरा सिहराये बदन
    पूछता हाल दिल का रह-रह के
    सिलवट,करवट,बेचैन,बसर,
    कुहकाती है रात के तीसरे पहर
    मन के कसकते भावों का सार्थक शब्दांकन प्रिय श्वेता | रात के तीसरे
    पहर में विरह वेदना की प्रबलता को बहुत ही सुघड़ता से रचना में ढाल दिया | सस्नेह

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  11. कुहकाती है रात के तीसरे पहर
    सराहनीय चिंतन..

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।