नैनों में भर खारे मोती
विष के प्याले पीना हो,
आशाओं के दीप बुझा के
कैसे जीवन जीना हो..?
मन के चाहों को छू-छूकर
चिता लहकती धू-धूकर
भावों की राख में लिपटा मन
कैसे चंदन-सा भीना हो?
आशाओं के दीप बुझा के
कैसे जीवन जीना हो..?
भोर सिसकती धुंध भरी
दिन की आरी भी कुंद पड़ी
गीली सँझा के आँगन में
कैसे रातें पशमीना हो?
आशाओं के दीप बुझा के
कैसे जीवन जीना हो...?
जर्जर देह के आवरण के
शिथिल हिया के आचरण के
अवशेष बचे हैं झँझरी कुछ
कैसे अंतर्मन सीना हो...?
आशाओं के दीप बुझा के
कैसे जीवन जीना हो...?
#श्वेता सिन्हा
सुन्दर रचना
ReplyDeleteजी आभारी हुँ सर।
Deleteसादर शुक्रिया।
जी आभारी हूँ दी आपका स्नेह बना रहे।
ReplyDeleteसादर शुक्रिया।
नैनों में भर खारे मोती
ReplyDeleteविष के प्याले पीना हो,
आशाओं के दीप बुझा के
कैसे जीवन जीना हो..?
बहुत खूब रचना प्रिय श्वेता. बहुत दिन बाद सरस, मधुर काव्य ,जो तुम्हारी विशेष पहचान है , पढ़कर अच्छा लगा । लोहड़ी और संक्रांति पर मेरी हार्दिक शुभकामनायें तुम्हारे लिए। 🌹🌹🌹🌹
ऐसे ही जीने की आदत, तुझे डालनी ही, अब होगी,
ReplyDeleteअरमानों की चिता जलाकर, उमर यूँ ही, ढालनी ही होगी.
शिक़वे-गिले सब, ताक पे रख दे, लब सीने का हुनर सीख ले,
या फिर दिल में छुपा, बग़ावत, तुझे पालनी ही अब होगी.
भोर सिसकती धुंध भरी
ReplyDeleteदिन की आरी भी कुंद पड़ी
गीली सँझा के आँगन में
कैसे रातें पशमीना हो?
बहुत ही बेहतरीन कविता।एक एक शब्दों को जोड़ कर पूरी बात लिखी गई है।
बेहतरीन सृजन स्वेता।सस्नेह
ReplyDeleteअद्धभुत सृजन
ReplyDeleteश्वेता दी यहीं जीवन हैं। कुछ खट्टा और कुछ मीठा। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteवाह!श्वेता , सुंदर भावाभिव्यक्ति !
ReplyDeleteजर्जर देह के आवरण के
ReplyDeleteशिथिल हिया के आचरण के
अवशेष बचे हैं झँझरी कुछ
कैसे अंतर्मन सीना हो...
बहुत खूब......
आशाओं के दीप बुझा के
ReplyDeleteकैसे जीवन जीना हो...?
बेहद सुन्दर, अप्रतिम सृजन....
मन के चाहों को छू-छूकर
चिता लहकती धू-धूकर
भावों की राख में लिपटा मन
कैसे चंदन-सा भीना हो?
वाह!!!!
अद्भुत शब्दविन्यास... बहुत ही उत्कृष्ट
जर्जर देह के आवरण के
ReplyDeleteशिथिल हिया के आचरण के
अवशेष बचे हैं झँझरी कुछ
कैसे अंतर्मन सीना हो...?
बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ लिखी हैं आपने आदरणीया श्वेता जी। जीवन जीने का नजरिया ही तो हमें खास बनाता है और यदि भूल सुधार हेतु मन पश्चाताप या प्रयास करे तो जीवन और भी आसान हो सकती है। शुभकामनाएं ।
सकारात्मक जीवन जीने की प्रेरणा देती रचना।
ReplyDeleteबेहतरीन और कमाल की रचना है।
कितने ही दर्द आएं
कितनी ही मुश्किलें आएं पर हमें कभी आशा नहीं खोनी चाहिए।
प्रस्तुत करने का लहजा लाज़वाब रहता है आपका।
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है- लोकतंत्र