बेतरतीब उगी हुई
घनी जंगली घास-सा दुख
जिसके नीरस अंतहीन छोर के
उस पार कहीं दूर से
किसी हरे पेड़ की डाल पर
बोलती सुख की चिड़िया का
मद्धिम स्वर
उम्मीद की नरम दूब-सा
थके पाँव के छालों को
सहलाकर कहती है-
ज़िंदगी के सफ़र का
खूबसूरत पड़ाव
तुम्हारी प्रतीक्षा में है।
बहुत पास से गुज़रा तूफान
धरती पर लोटती
बरगद,पीपल की शाख,
सड़क के बीचोबीच पसरा नीम
असमय काल-कलवित
धूल-धूसरित,गुलमोहर की
डालियाँ, पत्तियाँ, कलियाँ
पक्षियों के घरौंदे,
बस्ती के कोने में जतन से बाँधी गयी
नीली प्लास्टिक की छत,
कच्ची माटी की भहराती दीवार
अनगिनत सपनें
बारिश में बहकर नष्ट होते देखती रही
उनके दुःख में शामिल हो
शोक मनाती रही रातभर उनींदी
अनमनी भोर की आहट पर
पेड़ की बची शाखों पर
घोंसले को दुबारा बुनने के उत्साह से
किलकती तिनका बटोरती
चिड़ियों ने खिलखिलाकर कहा-
एक क्षण से दूसरे क्षण की यात्रा में
समय का शोकगीत गाने से बेहतर है
तुम भी चिड़िया बनकर
उजले तिनके चुनकर
चोंच मे भरो और हमारे संग-संग
जीवन की उम्मीद का
गीत गुनगुनाओ।
#श्वेता सिन्हा
३ दिसंबर २०२१
चिड़ियों की जिजीविषा को दर्शाती सुंदर ,प्रेरक रचना ।
ReplyDeleteठंड की बारिश का एक दृश्य बहुत संवेदनशीलता से उभारा है ।।खूबसूरत रचना ।
चिड़ियों ने खिलखिलाकर कहा-
ReplyDeleteएक क्षण से दूसरे क्षण की यात्रा में
समय का शोकगीत गाने से बेहतर है
तुम भी चिड़िया बनकर
उजले तिनके चुनकर
चोंच मे भरो और हमारे संग-संग
जीवन की उम्मीद का
गीत गुनगुनाओ।
बेहतरीन..
आशा से तरबतर मन के भाव,बहुत अच्छे है मैम
ReplyDeleteअत्यंत सुंदर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय श्वेता। जीवन में सृष्टि में प्रत्येक तत्व अपने आप में संपूर्ण और प्रेरक हैं।इंसान जहां अपने जीवन की विसंगतियों से सदैव परेशान होकर रुकजाता है वहीं भूमि पर बिखरी अनावश्यक सी समझी जाने वाली दूर्वा
ReplyDeleteलाख नष्ट हो जाए पर अपना अस्तित्व कभी नहीं गंवाती तो चिड़िया का मधुर और उसकी जीवटता किसको प्रेरणा से नहीं भर देती। उसका फिर- फिर नीड़ निर्माण और मधुर गीत किसके थके मांदे हृदय नवजीवन की प्रेरणा नहीं जगाती!! बहुत सुंदर लिखा तुमने। मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं और प्यार।
पेड़ की बची शाखों पर
ReplyDeleteघोंसले को दुबारा बुनने के उत्साह से
किलकती तिनका बटोरती
चिड़ियों ने खिलखिलाकर कहा-
एक क्षण से दूसरे क्षण की यात्रा में
समय का शोकगीत गाने से बेहतर है
तुम भी चिड़िया बनकर
उजले तिनके चुनकर
चोंच मे भरो और हमारे संग-संग
जीवन की उम्मीद का
गीत गुनगुनाओ।
👌👌👌👌👌
🌷🌷🌷🌷🌷❤️❤️❤️❤️
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण पंक्तियां
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 06 दिसम्बर 2021 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अनमनी भोर की आहट पर
ReplyDeleteपेड़ की बची शाखों पर
घोंसले को दुबारा बुनने के उत्साह से
किलकती तिनका बटोरती
चिड़ियों ने खिलखिलाकर कहा-
एक क्षण से दूसरे क्षण की यात्रा में
समय का शोकगीत गाने से बेहतर है
तुम भी चिड़िया बनकर
उजले तिनके चुनकर
चोंच मे भरो और हमारे संग-संग
जीवन की उम्मीद का
गीत गुनगुनाओ।
बेहद हृदयस्पर्शी रचना श्वेता जी।
सुन्दर सृजन
ReplyDeleteचिड़िया के माध्यम से जिंदगी का उद्देश्य बता दिया आपने हर परिस्थिति में हौसला लिए आगे बढ़ो,नई शुरुआत करो खो चुके का ग़म नहीं करके नव सृजन को आगे बढ़ो ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रेरणादायक रचना।
सस्नेह श्वेता।
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआपकी इस रचना की तारीफ करने के लिए मेरे पास शब्द कम पड़ रहे हैं..!
ReplyDeleteसमझ नहीं आ रहा कैसे तारीफ करूँ!
सच में बहुत ही शानदार सृजन.. .
जीवन सत्य को दर्शाती सुंदर सार्थक रचना । बहुत बहुत शुभकामनाएं श्वेता जी ।
ReplyDeleteप्राकृतिक आपदा जनित अवांछित विपदा में भी छोटी-सी जान - चिड़िया के उजड़े घोंसलों के बावज़ूद उसका गाना, आगे की योजना की नसीहत देने जैसे बिम्बों के शब्द-चित्रों के सहारे .. हर अवांछित विपरीत परिस्थिति में सकारात्मक रहने की संदेशपरक रचना .. शायद ...
ReplyDeleteश्वेता दी,इंसान जहां थोड़ी सी विपत्तियों से डर जाता है, वहीं पर पशु और पक्षी में बहुत बड़े पैमाने पर जिजीविषा दिखाई देती है।
ReplyDeleteचिड़िया की इसी जिजीविषा को बहुत सुंदर तरीके से व्यक्त किया है आपने।
भावपूर्ण अभिव्यक्ति ! नियति चाहे जो हो कर्म करते रहना जरुरी है
ReplyDeleteएक क्षण से दूसरे क्षण की यात्रा में
ReplyDeleteसमय का शोकगीत गाने से बेहतर है
तुम भी चिड़िया बनकर
उजले तिनके चुनकर
चोंच मे भरो और हमारे संग-संग
जीवन की उम्मीद का
गीत गुनगुनाओ।
सकारात्मकता से ओतप्रोत बहुत ही सुन्दर संदेशप्रद लाजवाब सृजन
एक क्षण से दूसरे क्षण की यात्रा !
अद्भुत!
बहुत सुंदर और सार्थक रचना।
ReplyDeleteहर परिस्थिति में आशा का दामन न छोड़ने का संदेश देती सुंदर रचना ।
ReplyDeleteवाह श्वेता जी,क्या ख्ाूब लिखा कि "एक क्षण से दूसरे क्षण की यात्रा में
ReplyDeleteसमय का शोकगीत गाने से बेहतर है कि हम भी चिड़िया बन जायें... और... और... और..
सुंदर भावपूर्ण आश जगाती रचना।
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