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Thursday, 24 August 2023

चाँद


मानवों की पदचाप की आहट से 
जोर से सिहरा होगा चाँद,
मशीनी शोर , घरघराहट से 
दो पल तो ठहरा होगा चाँद...।
सदियों से शांति से सोया,
मौन भंग से उद्वेलित तो होगा
रहस्यों के उजागर होने के भय से
भीतर ही भीतर आंदोलित तो होगा
बस्तियाँ बसे न बसे,आशिया सजे न सजे
देवत्व का मिथक टूटता देख
जाने क्या-क्या कह रहा होगा चाँद।
मख़मली शीतल एहसास की
 अब न होगी रूमानी कहानियाँ
ख़ुरदरी,धूलभरे बेडौल गड्ढों की तस्वीरें
बना रही अमिट निशानियाँ
अब न कोई कविता या गज़ल बनेगी
 न किसी मिसरा में होगा चाँद
 रूखी सतह के ठंडे, गर्म विश्लेषण में
 आंकड़ों की किताब के हाशिये में
बस संख्याओं में पसरा होगा चाँद...।

#श्वेता
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२३ अगस्त २०२३
शाम ६ बजकर १५ मिनट
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9 comments:

  1. बहुत अच्छी चिंतन मननशील रचना। . एक चाँद हमारा था एक चाँद उनका भी हो गया

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  2. कुछ भी हो जाये पर चंदा तो मामा ही बना रहेगा बच्चों का और कवियों के लिए सुंदर मुखड़ा

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  4. आहा ... चाँद को ले कर लिखी रचनाओं में अलग सी रचना है आपकी ... बहुत अच्छी लगी ...

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  5. चाँद की हकीकत सुन्दरता से कोसों दुर है.
    शायद सच्ची मोहब्बत से इसकी तुलना होती रहे... वो भी दुर ये भी पहुँच से बाहर.... :)
    अच्छी रचना.

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  6. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 22 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी .... https://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति...

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।