Pages

Thursday 16 May 2024

ज़िंदगी



ख़ानाबदोश की प्रश्नवाचक यात्रा -सी
दर-ब-दर भटकती है ज़िंदगी
समय की बारिश के साथ
बहता रहता है उम्र का कच्चापन
देखे-अनदेखे पलों के ब्लैक बोर्ड पर
उकेरे
तितली,मछली,फूल, जंगल
चिड़िया,मौसम, हरियाली, नदी,
 सपनीले चित्रों के पंख
अनायास ही पोंछ दी जाती है
बिछ जाती है 
पैरों के नीचे
ख़ुरदरी , कँटीली पगडंड़ियाँ...
जिनपर दौड
कर आकाश छूने की
लालसा में ख़ुद को
भुलाये बस भागती
रहती है ज़िंदगी...।
-----

-श्वेता

7 comments:

  1. भागना जरूरी है रुकने से बेहतर l सुन्दर l

    ReplyDelete
  2. आकाश को छूने की लालसा बनी रहे तो और क्या चाहिए ज़िंदगी को, अंततः हर बाधा एक सीढ़ी बन जाती है, सुंदर सृजन !

    ReplyDelete
  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 18 मई 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

    ReplyDelete
  4. बहुत बहुत सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  5. ज़िन्दगी इसी का नाम है ...

    ReplyDelete
  6. ना! जिंदगी कहां भागती है। उस बेचारी कोवतो घसीटते हुए हम भगाए ले जाते रहते हैं😀🙏

    ReplyDelete
  7. जिदंगी अनवरत भागते रहने का ही दूसरा नाम है |ये भागमभाग ना हो तो जड़ता में जीने का मज़ा कहाँ आयेगा |एक उम्र तक ही रह सकते हैं कच्चे सपने ,उसके बाद सबकी राह पथरीली ही हो जाती है |

    ReplyDelete

आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।