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Friday, 18 July 2025

तुम्हारे जन्मदिन पर--(२)


तुम्हारे जन्म के पहले से 

जब तुम कोख में थी मेरे

तबसे  नन्ही-नन्ही 

अनगिनत रंगीन शीशियाँ

सहेज रही हूँ 

तुम्हारी स्मृतियों के

 इत्र में भीगीं।


 प्रत्येक वर्ष

तुम्हारे जन्मदिन पर

दिनभर की भाग-दौड़ से

थमने के बाद चुपचाप

अंतरिक्ष की स्याह स्लेट पर

तुम्हारे भविष्य की तस्वीर

उकेरती हूँ

नक्षत्रों से बातें करती हूँँ

नम आँखों में तुम्हारे सुखों और

ख़ुशियों की कामना लिए

आँचल फैलाकर

दुआएँ माँगती हूँ।


और अब...

इस उम्र में 

जब देह और मन के अंतर्द्वन्द्व 

समझने का प्रयास करती

तुम्हारे मन की कोमल चिड़िया

अपनी नाज़ुक चोंच से

नभ का सबसे चमकीला तारा

 उठाना चाहती है।

अपने भीतर बसाये

कल्पनाओं की गुलाबी दुनिया में

अपना नाम टाँकना चाहती है।

मैं धैर्य और साहस बनकर

तुम्हारे स्वप्नों का 

एक सिरा थामकर अदृश्य रूप से

तुम्हारे साथ-साथ चलना चाहती हूँ।


सुनो बिटुआ....

तुम इंद्रधनुष के

इकतारे पर अपने जीवन का

संगीत लिखो,

जब भी थक जाओ 

जीवन की जटिलताओं से

मेरे आशीर्वाद को 

ओढ़ कर,

सुस्ता लेना मेरी प्रार्थनाओं के

बिछावन पर...

मैं रहूँ न रहूँ

पर एक मैं ही तो हूँ

निःस्वार्थ, निष्काम

तुम्हारी आत्मा की परछाई,

तुम्हारी स्मृतियों की खिड़की पर

आजीवन हर मौसम में 

खड़ी मिलूँगी

तुम्हारे हृदय में पवित्र

ममत्व का भाव बनकर।

 -----------

-श्वेता

१८ जुलाई २०२५

11 comments:

  1. वात्सल्य भाव से सृजित भावपूर्ण कृति , बिटिया के जन्मदिन की हार्दिक मंगलकामनाएँ श्वेता जी !स्नेहिल नमस्कार !

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  2. वाह l ढेरों शुभकामनाएं और आशीर्वाद बिटिया के लिए उसके जन्मदिन पर l

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  3. बहुत सुंदर ममत्व भाव से परिपूर्ण , बिटिया के जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ !

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  4. अंतरिक्ष की स्याह स्लेट पर
    तुम्हारे भविष्य की तस्वीर
    उकेरती हूँ।
    वाह!!!
    ऐसी विजुवलाइजिंग वह भी माँ द्वारा कैसे पूरी ना होगी
    जब देह और मन के अंतर्द्वन्द्व
    समझने का प्रयास करती
    तुम्हारे मन की कोमल चिड़िया
    अपनी नाज़ुक चोंच से
    नभ का सबसे चमकीला तारा
    उठाना चाहती है।
    सच ! उस नाजुक उम्र में देह और मन के अंतर्द्वन्द्व के विरोधाभास के साथ ही भविष्य के सुनहरे सपने बुनने के एहसास को इतने खूबसूरत शब्दों में पिरोना ...साधुवाद प्रिय श्वेता ! साधुवाद !
    और आगे
    जब भी थक जाओ
    जीवन की जटिलताओं से
    मेरी शुभकामनाओं को
    ओढ़ कर,
    सुस्ता लेना मेरी प्रार्थनाओं के
    बिछावन पर...
    मैं धैर्य और साहस बनकर
    तुम्हारे स्वप्नों का
    एक सिरा थामकर अदृश्य रूप से
    तुम्हारे साथ-साथ चलना चाहती हूँ।
    अहा !!!!
    हर माँ के मन की...एकदम अनकही सी
    आँखें नम हो गयी ....
    भाव विह्वल करती लाजवाब कृति
    अनंत शुभकामनाएं एवं शुभाषीश बिटिया को ।

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  5. सबसे पहले तो बिटुआ को ढेर सारी शुभकामनाएँ ।
    और अब तुम्हारे ममत्व से भरे भावों का सृजन जिसमें तुमने अद्भुत बिम्बों का समावेश किया है ..... निःशब्द कर दिया है ।
    एक एक शब्द जैसे बेटी का सुरक्षा कवच बन गया है ।सुंदर और लाजवाब सृजन ।

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  6. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 20 जुलाई 2025 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  7. जनम दी को ढेरों बधाई .... सुन्दर भावपूर्ण रचना आपकी ...

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  8. प्रिय श्वेता, एक अत्यंत भावुकमना माँ के ह्रदय से अनायास उमड़ी इस भावों से भरी काव्यधार ने निशब्द कर दिया! मानस्वी प्रांजल के जन्मदिन दिन पर इस आत्मीयता से सराबोर रचना का उपहार अनमोल है!अपने भावी जीवन में जब वह सफलता के शिखर पर होंगी तो ये शब्दबद्ध दुआयें और प्रार्थनाएं साक्षी बनकर उसे प्रेरित करेंगी! एक माँ के सम्पूर्ण व्यक्तित्व की परछाई होती है बेटी! अपने अधूरे सपनों का विस्तार एक माँ अपनी बेटी में ही पाना चाहती हैं! तुम्हारे शब्द उसके मार्ग की समस्त बाधाओं को पार करने में सहायक होंगे! प्रभु से प्रार्थना है कि तुम्हारी हर दुआ हर स्वप्न पूरा हो!एक माँ को उसके समर्पण और त्याग का सिला मिले! बिटिया अपने जीवन में खूब आगे बढे और सदा स्वस्थ रहे! बहुत बहुत बधाई इस भावपूर्ण रचना के लिए! गुड्डू को ढेरों प्यार और आशीर्वाद!❤️❤️

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  9. बहुत सुंदर रचना, मार्मिक और हृदयस्पर्शी, जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं 🎉🎂

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  10. वात्सलय, स्नेह और प्रेम की स्याही से रची सुंदर कृति, बिटिया को बहुत बहुत शुभकामनाएँ

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  11. बेहद उत्साहित पंक्तियाँ, जन्मदिन की शुभकामनाएँ

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।