मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
'अजूबा' किसान...छंदमुक्त सामजिक कविता
.
Show all posts
Showing posts with label
'अजूबा' किसान...छंदमुक्त सामजिक कविता
.
Show all posts
Wednesday, 16 December 2020
'अजूबा' किसान
›
चित्र:मनस्वी सदियों से एक छवि बनायी गयी है, चलचित्र हो या कहानियां हाथ जोड़े,मरियल, मजबूर ज़मींदारों की चौखट पर मिमयाते,भूख से संघर्षरत किसान...
18 comments:
›
Home
View web version