मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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अंकुराई धरा....अतुकांत कविता
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Tuesday, 9 January 2018
अंकुराई धरा
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धूप की उंगलियों ने छू लिया अलसाया तन सर्द हवाओं की शरारतों से तितली-सा फुदका मन तन्वंगी कनक के बाणों से कट गये कुहरीले पा...
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