मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
अधूरा टुकड़ा......।कविता
.
Show all posts
Showing posts with label
अधूरा टुकड़ा......।कविता
.
Show all posts
Wednesday, 14 March 2018
अधूरा टुकड़ा
›
बूढ़े पीपल की नवपत्रों से ढकी इतराती शाखों पर कूकती कोयल की तान हृदय केे सोये दर्द को जगा गयी हवाओं की हँसी से बिखरे बेरंग...
26 comments:
›
Home
View web version