मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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अनछुआ मन....दार्शनिक कविता
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Friday, 24 August 2018
अनछुआ मन
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जीवन-यात्रा में बूँद भर तृप्ति की चाह लिये रेगिस्तान-सी मरीचिका में भटकता है मन, छटपटाहटाता व्याकुल गर्म रेत के अंगारें को...
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