मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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असंतुलन.... दार्शनिक कविता
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Thursday, 2 April 2020
असंतुलन
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क्या सचमुच एकदिन मर जायेगी इंसानियत? क्या मानवता स्व के रुप में अपनी जाति,अपने धर्म अपने समाज के लोगों की पहचान बनकर इतरा...
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