मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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असमर्थ हूँ मैं......तुकांत कविता
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असमर्थ हूँ मैं......तुकांत कविता
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Friday, 15 February 2019
असमर्थ हूँ मैं....
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व्यर्थ क़लम का रोना-धोना न चीख़ का कोई अर्थ हू्ँ मैं दर्द उनका महसूस करूँ कुछ करने में असमर्थ हूँ मैं न हृदय लगा के रो पाई न च...
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