मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Friday, 4 May 2018
आत्मबोध
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हर शाम सूरज की बोझिल फीकी बाहें स्याह क्षितिज में समाने के पहले छूकर मेरी आँखों को उदास कर जाती है गहरे नीले नभ पर छाय...
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