मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Wednesday, 3 January 2018
तुम्हारा ख़्याल
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गहराते रात के साये में सुबह से दौड़ता-भागता शहर थककर सुस्त क़दमों से चलने लगा जलती-बुझती तेज़ -फीकी दूधिया-पीली रोशनी के जगमगात...
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