मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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आरक्षण.... सामाजिक कविता
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Tuesday, 3 April 2018
आरक्षण
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आरक्षण के नाम पर घनघोर मचा है क्लेश अधिकारों के दावानल में पल-पल सुलगता देश लालच विशेषाधिकार का निज स्वार्थ में भ्रमित हो ...
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