मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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इंद्रधनुष.. छंदमुक्त प्रेम कविता
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Sunday, 10 November 2019
इंद्रधनुष
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ओ मेरे मनमीत लगभग हर दिन तुमसे नाराज़ होकर ख़ुद को समेटकर विदा कर आती हूँ हमारा प्रेम.... फिर कभी तुम्हें अपनी ख़ा तिर ...
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