मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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इंसानियत की बलि....छंदमुक्त कविता..सैनिक और नक्सली
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Tuesday, 24 March 2020
इंसानियत की बलि
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आदिम पठारों, के आँचल में फैले बीहड़ हरीतिमा में छिपे, छुट्टा घूमते जंगली जानवरों की तरह खूँखार,दुर्दांत .. क्या सच्चा साम...
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