मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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इख़्तियार में कुछ बचा नहीं#नज़्म#
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Thursday, 29 August 2024
इख़्तियार में कुछ बचा नहीं
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नज़्म ----- चेहरे पे कितने भी चेहरे लगाइए, दुनिया जो जानती वो हमसे छुपाइए। माना; अब आपके दिल में नहीं हैं हम, शिद्दत से अजनबीयत का रिस्ता निभ...
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