मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
एक बार फिर....छंदमुक्त कविता..शहीद
.
Show all posts
Showing posts with label
एक बार फिर....छंदमुक्त कविता..शहीद
.
Show all posts
Tuesday, 5 May 2020
एक बार फिर....
›
एक बार फिर.... उनके जीवन की कहानियाँ रह गयीं अधूरी बिखरे कुछ सपने, छूट गये अपने सूनी माँग,टूटी चूड़ियों बूढ़ी-जवान,मासूम द...
28 comments:
›
Home
View web version