मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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एहसास का बबंडर.......मुक्त ग़ज़ल
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Wednesday, 28 March 2018
एहसास का बवंडर
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सूना बड़ा है तुम बिन ख़्वाबों का टूटा खंडहर। तुमसे ही मुस्कुराये खुशियों का कोई मंज़र ।। होने लगी है हलचल मेरे दिल की वादियों म...
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