मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Wednesday, 28 July 2021
कठपुतलियाँ
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मुंडेर पर दाना चुगने आती चिडियों के टूटे पंख इकट्ठा करती, नभ में उड़ते देख उनके कलरव पर आनंदित होती मैं चिड़िया हो जाना चाहती हूँ, मुझे चिड़िया...
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