मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
कली केसरी पिचकारी...# होली # तुकांत कविता
.
Show all posts
Showing posts with label
कली केसरी पिचकारी...# होली # तुकांत कविता
.
Show all posts
Saturday, 27 March 2021
कली केसरी पिचकारी
›
कली केसरी पिचकारी मन अबीर लपटायो, सखि रे! गंध मतायो भीनी राग फाग का छायो। चटख कटोरी इंद्रधनुषी वसन वसुधा रंगवायो, सरसों पीली,नीली नदियाँ स...
27 comments:
›
Home
View web version