मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
कहानी
.
Show all posts
Showing posts with label
कहानी
.
Show all posts
Thursday, 1 June 2017
मन का बोझ
›
मन का बोझ ---------------------- बेचैन करवट बदलती मैं उठ बैठ गयी। तकिये के नीचे से टटोलकर क्लच ढूँढकर बिखरे बालों को समेटकर उस...
Thursday, 11 May 2017
बेबसी
›
ऊफ्फ्...कितनी तेज धूप है.....बड़बड़ाती दुपट्टे से पसीना पोंछती मैं शॉप से बाहर आ गयी।इतनी झुलसाती गरमी में घर से बाहर निकलने का शौक नहीं ...
6 comments:
›
Home
View web version