मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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कोमल मन हूँ मैं....प्रेम कविता
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Friday, 2 February 2018
कोमल मन हूँ मैं
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ज्योति मैं पूजा की पावन गीतिका की छंद हूँ मैं धरा गगन के मध्य फैली एक क्षितिज निर्द्वन्द्व हूँ मैं नभ के तारों में नहीं हूँ ना च...
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