मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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क्यूँ जीते जाते हैं?....दार्शनिक कविता
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Sunday, 29 July 2018
क्यूँ जीते जाते
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ब्रह्मांड में धरा का जन्म धरा पर जीवन का अंकुरण प्रकृति के अनुपम उपहारों का क्यूँ मान नहीं कर पाते हैं? जीवन को प्रारब्ध से ज...
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