मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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क्यों नहीं लिखते....छंदमुक्त कविता...सामाजिक
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Sunday, 10 May 2020
क्यों नहीं लिखते...
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हे, कवि! तुम्हारी संवेदनशील बुद्धि के तूणीर में हैं अचूक तीर साहसी योद्धा, भावनाओं के रथ पर सज्ज साधते हो नित्य दृश्यमान लक्षित...
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